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________________ ३१%] अनेकान्त अपनी आलोचना और भावना [वर्ष ३ सहे दुख भारी औ' उत्ताप, जपा नहिं भाव-पूर्ण तव जाप ॥ प्रभो! रागादिक दोष निवार, धरूँ मैं समना-भाव उदार । यही तव पूजा उन्नतिकार, ___यही तव गुण कीर्तनका सार ॥ भूल-यश भटका सब संसार, न पाई शान्ति-सुधाकी धार । लखी नहिं अन्तज्योति अपार, सुधा बरसाती जो अनिवार । आपसा नेता पा अविकार, मार्ग पर लगा न संयम धार। रुला जगमें यों होकर ख्वार; मुझे धिक्कार ! मुझे धिक्कार! १ मुश्क रहता निज-नाभि-मॅझार, विपिनमें खोजे हिरन गँवार । त्यों हि मुझमें निज-सुख-भंडार खोज पर-द्रव्यों में बेकार ॥ तुच्छ सम्पत पा, यह हुँकार ! श्रणिक बल पा, यह अत्याचार ! ज्ञानको पाकर, धरा विकार; मुझे धिक्कार ! मुझे धिक्कार ! (४) अज्ञता-वश कीने बहु पाप, मोह-वश किये अनेक विलाप । वीर ! हो उम रुचिका विस्तार, लखू निज गुप्त-शक्ति-भंडार ! लहूँ निजमें सन्तोष अपार, मिटै भव-भ्रमण महा-दुखकार ॥ -युगवीर दिल्ली २०-६-५५ 'श्रीराजकली-मुख्तार-ट्रस्ट' की अोरसे सात छात्र-वृत्तियाँ 'श्रीराजकली मुख्तार इस्ट' को मुख्तार श्रीजुगलकिशोर छात्रवृत्ति प्राप्त करनेको इच्छुका छात्राओं को अपनी जीने, अपनी स्वर्गीया धर्मपत्नी श्रीमती राजकलीदेवीकी वर्तमान शिक्षा-योग्यतादिका उल्लेख करते हुए नीचे लिखे स्मृतिमें ५००१) की रकम निकाल कर, स्थापित किया है। पते पर पत्रव्यवहार करना गहिए । साथ ही अपना पूरा इस ट्रस्टकी शारसं इस वर्ष मात छात्र वृत्तियाँ देनेका निश्चय पता तथा परिचय भी मुवाच्य अक्षरों में लिखना चाहिए, किया गया है। ये छात्रवृत्तियाँ उन सुयोग्य छात्राओंको, जिससे उनके लिए उक्र ग्रन्थमें परीक्षाकी योजना अागामी चाहे वे जैन हों या जैनेनर, दी जाएगी जो वीरसंवा- दिसम्बर-जनवरीके लगभग की जा सके और इस बीचमें वे मन्दिरसे हालमें प्रकाशित स्वामी ममन्तभद्रक 'ममी जीन- ग्रन्थका अच्छा अभ्याम भी कर सकें। धर्मशास्त्र' और उसके 'हिन्दी भाष्य' में दक्षता प्राप्त कर ऊँचे नम्बरोंसं उत्तीर्ण होंगी। छात्रवृत्ति प्रतियोगिताकी इस जयवन्ती जैन परीक्षा में विशारद पास अध्यापिकाएं भी बैठ सकेंगों, जिन्हें मंत्रिणी 'श्रीराजकली-मुख्तार-ट्रस्ट' उस प्रकारसे उत्तीर्ण होने पर ५०) की एक मुश्त और शेष छात्रामों में प्रत्येक को ५) मामिककी एक वर्ष तक ठि.वीरसवामन्दिर, सरसावा, छात्रवृत्ति दी जायगी। जि. सहारनपुर
SR No.538013
Book TitleAnekant 1955 Book 13 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1955
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size24 MB
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