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• अहम
तुतत्त्व-संध
श्वतत्व-प्रकाशक
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VI
वाषिक मन्य )
एक किरण का मूल्य १)
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नीतिविरोधध्वंसी लोकव्यवहारवर्तकः सम्यक् ।। परमागमस्य दीज भुवनैकगुरुर्जयत्यनेकान्त
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वर्ष १३ । किरण ११, १२ ।
वीरसेवामन्दिर, C/० दि० जैन लालमन्दिर, चाँदनी चौक, देहली मई, जून
वैशाख ज्येष्ठ, वीरनिर्वाण-संवत २४८१, विक्रम संवत २०१२ । १६५५
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भगवान् आदीश्वरको ध्यान-मुद्रा देखो जी आदीश्वर स्वामी, कैसा ध्यान लगाया है। कर ऊपर कर सुभग विराजै, आसन थिर ठहराया है ॥१॥ जगत-विभूति भूत सम तजकर, निजानन्द पद ध्याया है । सुरभितस्वांसा, आसा-वासा नासा-दृष्टि सुहाया है ॥ कंचन वरन चलै मन रंच न, सुरगिर ज्यों थिर थाया है। जास पास अहि-मोर मृगी-हरि, जाति-विरोध नसाया है। शुधउपयोग हुतासनमें जिन, वसुविधि समिध जलाया है। श्यामलि अलकावलि सिरसोहै, मानो धुमाँ उड़ाया है। जीवन-मरन अलाभ-लाम जिन तन-मनिको सम भाया है। सुर-नर-नाग नमहिं पद, जाके 'दौल' तास जस गाया है ॥
-कविवर दौलतराम