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________________ वीरसेवामन्दिरके सुरुचिपूर्ण प्रकाशन (१) पुरातन-जैनवाक्य-सूची-प्राकृतिके प्राचीन ६. मूल-ग्रन्थोंकी पचानुक्रमणी, जिसके साथ 5 टीकाविग्रन्थों में उडत दूसरे पोंकी भी अनुक्रमणी लगी हुई है। सब मिलाकर २५३५३ पथ-वाक्योंकी सूची। संयोजक और सम्पादक मुख्तार श्रीजुगलकिशोरजी की गवेषणापूर्ण महस्वकी ७० पृष्ठको प्रस्तावनासे अलंकृत, कालीदास भागर एम. ए., बी. लिट् के प्राक्थन (Foreword) और डा. ए. एन. उपाध्याय एम. ए.पी. लिट् की भूमिका (Introduction) से भूषित है, शोध-खोजके विद्वानों के लिये अतीव उपयोगी, बड़ा साइज, माजल्द ( जिसकी प्रस्तावनादिका मूल्य अलगसे पांच रुपये है) (२ प्राप्त-परीक्षा-श्रीविद्यानन्दाचार्यकी स्वोपज्ञ सटीक अपूर्वकृति प्राप्तोंकी परीक्षा द्वारा ईश्वर-विषयके सुन्दर मरस और सजीव विवेचनको लिए हुए, न्यायाचार्य पं० दरबारोलालजी के हिन्दी अनुवाद तथा प्रस्तावनादिसे युक्त, सजिल्द । ... (३) न्यायदीपिका-न्याय-विद्याकी सुन्दर पोथी, न्यायाचार्य पं. दरबारीलालजीके संस्कृतटिप्पण, हिन्दी अनुवाद, विस्तृन प्रस्तावना और अनेक उपयोगी परिशिष्टोंसे अलंकृत, सजिल्द। .. (१) स्वयम्भूम्तात्र-समन्तभद्रभारतीका अपूर्व ग्रन्थ, मुख्तार श्रीजुगलकिशोरजीके विशिष्ट हिन्दी अनुवाद पन्दपरि चय, ममन्तभद्र-परिचय और भक्तियोग, ज्ञानयोग तथा कर्मयोगका विश्लेषण करती हुई महत्वकी गवेषणापूर्ण १०६ पृष्ठकी प्रस्तावनासे सुशोभित । ... (५) स्तुतिविद्या-स्वामी समन्तभद्रकी अनोग्वी कृति, पापोंके जीतनेकी कला, सटीक, सानुवाद और श्रीजुगलकिशोर मुख्तारकी महत्वकी प्रस्तावनादिसे अलंकृत सुन्दर जिल्द-साहित । (६) अध्यात्मकमलमार्तण्ड-पंचाध्यायीकार कवि राजमल्लकी सुन्दर श्राध्यात्मिक रचना, हिन्दीअनुवाद-सहित __और मुख्तार श्रीजुगलकिशारकी खोजपूर्ण ७८ पृष्ठको विस्तृत प्रस्तावनामे भूषित । ... ) (७) युक्त्यनुशासन-तत्त्वज्ञानसे परिपूर्ण समन्तभद्रकी असाधारण कृति, जिम्मका अभी तक हिम्दी अनुवाद नहीं हुअा था । मुख्तारश्रीके विशिष्ट हिन्दी अनुवाद और प्रस्तावनादिले अलंकृत, सजिल्द । ... ) (८) श्रीपुरपाश्वनाथस्तोत्र-प्राचार्य विद्यानन्दरचित, महत्वकी स्तुति, हिन्दी अनुवादादि सहित । " ॥) (E) शासनचनुस्त्रिशिका-(तीर्थपरिचय)-मुनि मदनकीर्तिकी १३ वीं शताब्दीकी सुन्दर रचना, हिन्दी अनुवादादि-सहित । (१०। मत्साधु-स्मरण-मंगलपाठ-श्रीवीर बर्द्धमान और उनके बाद के २१ महान् प्राचार्यों के १३७ पुण्य-स्मरणोंका महत्वपूर्ण संग्रह, मुख्तारधीके हिन्दी अनुवादादि-महित । (११) विवाह-ममुहेश्य मुख्तार मीका लिम्वा हुश्रा विवाहका मप्रमाण मार्मिक और तास्थिक विवेचन " ) :१२) अनकान्त-रस-लहरी-अनेकान्त जैसं गुढ़ गम्भीर विषयको प्रवती सरलतासे समझने-समझानेकी कुजी, मुख्तार श्रीजुगलकिशोर-लिस्तित । (१३) अनित्यभावना--पा० पद्मनन्दी की महत्वकी रचना, मुख्तारश्रीके हिन्दी पद्यानुवाद और भावार्थ सहित ) (१४) तत्त्वार्थसूत्र--(प्रभाचन्द्रीय) मुख्तारधीके हिन्दी अनुवाद नथा व्याख्यासं युक्त। (१५) प्रवणबेल्गोल और दक्षिणके अन्य जैनतीर्थ क्षेत्र-ला. राजकृष्ण जैनको सुन्दर सचित्र रचना भारतीय पुरातत्व विभागके डिप्टी डायरेक्टर जनरल डाल्टो एन. रामचन्द्रनको महत्व पूर्ण प्रस्तावनासे अलंकृत ) नोट-ये सब अन्य एकसाथ लेनेवालोंको ३८॥) की जगह ३०) में मिलेंगे। ज्यवस्थापक 'बीरसेवामन्दिर-ग्रन्थमाला' वीरसेवामन्दिर, १दरियागंज, देहबी ...
SR No.538013
Book TitleAnekant 1955 Book 13 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1955
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size24 MB
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