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________________ ७६ ] अनेकान्त [वर्ष १३ (1) गुण-प्रतिभा, सुन्दरता, शारीरिक शकि, आदि गाँवोंकी अपेक्षा नगर या महानगरमें सहसाधनोंकी ज्यादा जन्मजात गुण जिले कार्यमें अपनी विशेष उपयोगिता रखते जरूरत पड़ती है, महँगाई भी होती है इसलिये गांवकी हों उस कार्य में इनके कारण विशेष पारिश्रमिक मिलना अपेक्षा शहरका पारिश्रामिक अधिक होता है। चाहिये। उदाहरणके लिये साहित्य निर्माणमें, शामनमें, (३) कष्ट संकट-किसी काममें विशेष कष्ट हो, विशेष प्रबन्धमें, शिक्षणमें प्रतिभाका विशेष मूल्य है। सिनेमा संकट हो तो उसके कारण उसका मूल्य बढ़ जाता है । आदिमें सुन्दरताका मूल्य है । सेना पुलिस या शारीरिक साधारण मजदूरको अपेक्षा कोयले श्रादिको खदानमें काम मजदूरीके क्षेत्रमें शारीरिक शक्तिका मूल्य है। इन क्षेत्रों में करनेमें कष्ट और संकट अधिक है। हवाई जहाज चलानेमें इन गुणों पर विशेष पारिश्रमिक मिलना चाहिये। संकट अधिक है शारीरिक श्रमकी अपेक्षा वचन या मनके (२) साधना-किसी कामको करनेको योग्यता प्राप्त कार्यमें कप्ट अधिक है। इसलिये इनका मूल्य बढ जाता है। करनेमें कितने दिन कैसी साधना करना पड़ेगी इस परसे (६) उत्पादन-जो इस तरीकेसे काम करे कि अधिक उसका मूल्य निर्धारित करना पड़ता है। जैसे एक क्लर्क या अच्छा उत्पादन कर सके तो उसकी इस कलाका मूल्य बनने के लिये जितनी साधनाकी जरूरत है उससे कई अधिक होगा । जो अच्छा चित्र बना सकता है, अच्छी गुणो साधनाको जरूरत एक प्रोफेसर, लेखक, कवि या सम्पादक मूर्ति गढ़ सकता है, अच्छा लेख लिख सकता है उसका बननेमें है। इसलिये क्लर्ककी अपेक्षा इनके कार्यका मूल्य पारिश्रामिक अधिक होगा। इसी प्रकार जो परिमाणमें ज्यादा अधिक होगा। उत्पादन कर सकता है उसका मूल्य भी अधिक होगा। (२) श्रम-जिस काममें जितना अधिक श्रम करना (७) जिम्मेदारी-जिम्मेदारीका भी मूल्य होता है। पड़ता है उसका मूल्य उतना ही अधिक होता है। सब एक श्रादमीको अमुक समय काम करने के बाद उसके हानि कार्योमें शरीरिक श्रम बराबर नहीं होता और शारीरिक लाभसे कोई मतलब नहीं, दूसरेको हर समय हानि लाभका कार्योंकी अपेक्षा वाचनिक और मानसिक कार्यों में श्रम अधिक विचार रखना पड़ता है उसकी चिंता करनी पड़ती है। होता है। एक आदमी आठ घंटे घास खोदनेका काम वर्षो मैनेजरको जितना ध्यान रखना पड़ता है उतना साधारण कर सकता है। पर चार घंटे व्याख्यान देने का काम बहुत मजदूर या क्लर्क को नहीं रखना पड़ता । इसलिये मैनेजरका दिन नहीं कर सकता, उसका गला बैठ जायगा दिमागी मूल्य अधिक होगा। काम तो और भी कठिन है। शरीरको एक काम में भिड़ाये (८) दुर्लभता-जिस कामको करने वाले मुश्किलसे रखनेकी अपेक्षा मनको एक काममें भिड़ाये रखना काफी मिलते हैं उनकी भी कीमत बढ़ती है। तीर्थकर पैगम्बर कठिन है। शरीरको स्थिर रखनेकी अपेक्षा मनको स्थिर महाकवि, महान वैज्ञानिक, महान दार्शनिक, महान नेता, रखना काफी कठिन है। इसलिये मानसिक श्रमका मूल्य महान लेखक, महान कलाकार आदि काफी दुर्लभ होते हैं अधिक है। इसलिये इनकी कीमत काफी अधिक होती है । आर्थिक (४) सहसाधन-किसी कामको करनेमें जितने अधिक दृष्टिसे तो इनकी कीमत चुकाना अशक्य होता है इसलिये महसाधनोंकी जरूरत होगी उसका मूल्य उतना अधिक इनकी ज्यादतर कीमत यश प्रतिष्ठाके द्वारा चुकाना पड़ती होगा। दर्जीको सिलाईके काममें एक मशीनकी जरूरत है, है। पर इनके सिवाय साधारण क्षेत्रमें भी दुर्लभताका असर तो इस साधनके कारण भी उसके श्रमका मूल्य बढ़ जाता पड़ता है । पहिले मैट्रिक पास व्यक्ति भी बड़ा दुर्लभ था है। इसी तरह विशेष दिमागी कार्य करनेके लिये ठण्डे इसलिये उसकी भी काफी कीमत थी, अब बी.ए., एम.ए. वातावरणमें रहना, घी आदि विशेष तरावटी चीजें खाना भी हजारों लाखोंकी संख्यामें सुलभ है इसलिये उनकी भी आदि सहसाधन हैं। एक अभिनेत्रीको अपनी सुन्दरता कीमत काफी घट गई है। बाजारमें जिस चीज़ की जितनी बनाये रखना, हजारों प्रशंसकोंके पत्र आते हैं। उनको पढ़नेके मांग होती है उससे अधिक चीज आ जाय तो उसकी कीमत लिये प्राइवेट सेक्रेटरी रखना प्रादि सहसाधन हैं, धनकी गिर जाती है उसी प्रकार श्रादमीके बारे में भी है। पूजी मी सहसाधन है। हाँ! समाजको ऐसी व्यवस्था करना चाहिये कि प्रसाइन कारणों से विशेष पारिश्रामिक देना जरूरी है। धारण महामानवोंको छोड़कर साधारण क्षेत्रमें अतिदुर्लभता
SR No.538013
Book TitleAnekant 1955 Book 13 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1955
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size24 MB
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