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________________ स्वामी समन्तभद्रका समीचीन धर्मशास्त्र ( रत्नकरण्ड ) मुख्तार श्री जुगलकिशोर के हिन्दी भाष्य सहित छपकर तय्यार सर्व साधारणको यह जान कर प्रसन्नता होगी कि श्रावक एवं गृहस्थाचार - विषयक जिस र्थात प्राचीन तथा समीचीन धर्मग्रन्थ के हिन्दी भाग्य -सहित कुछ नमूनों को 'समन्तभद्र - वचनामृत' जैसे शीर्षकांके नीचे अनेकान्त में प्रकाशित देख कर लोक- हृदयमें उस समृचे भाष्य ग्रन्थको पुस्तकाकार रूपमें देखने तथा पढ़ने की उत्कण्ठा उत्पन्न हुई थी और जिसकी बड़ी उन्मुकनाके साथ प्रतीक्षा की जा रही थी वह अब छपकर तैयार हो गया है, अनेक टाइपोंके सुन्दर अक्षरोंमें ३५ पौंडके ऐसे उत्तम कागज पर छपा है जिसमें २५ प्रतिशत रूई पड़ी हुई है । मूलग्रन्थ अपने विषयका एक बेजोड़ ग्रन्थ है, जो ममन्तभद्र-भारती में ही नहीं किन्तु समृचे जैनसाहित्य में अपना खास स्थान और महत्व रखता है । भाष्य में, मूलकी मीमाके भीतर रह कर, ग्रन्थके मर्म तथा पद-वाक्योंकी दृटिको भले प्रकार स्पष्ट किया गया है, जिससे यथार्थ ज्ञानके साथ पद-पद पर नवीनताका दर्शन होकर एक नये ही रसका आस्वादन होता चला जाता है और भाष्यको पढ़नेकी इच्छा बराबर बनी रहती है - मन कहीं भी ऊबता नहीं । २०० पृष्ठके इस भाप्यके साथ मुख्तारश्रीकी १२८ पृष्ठकी प्रस्तावना, विषय सूची के साथ, अपनी अलग ही छटाको लिये हुए है और पाठकोंके सामने खाज तथा विचारक विपुल सामग्री प्रस्तुत करती हुई ग्रन्थके महत्वको ख्यापित करती है । यह ग्रंथ विद्यार्थियों तथा विद्वानों दोनोंके लिये समान रूपसे उपयोगी है, सम्यग्ज्ञान एवं विवेकको वृद्धिके साथ आचार-विचारको ऊँचा उठानेवाला और लोक में सुख-शान्तिकी सच्ची प्रतिष्ठा करनेवाला है । लगभग ३५० पृष्ठके इस दलदार सुन्दर मजिन्द ग्रन्थकी न्योछावर ३) रु० रकावी गई है । जिल्दSafar काम होकर एक महीने के भीतर ग्रन्थ भेजा जा सकेगा। पटनेच्छुक तथा पुस्तकविक्रेताओं ( बुकसेल) को शीघ्र ही अपने यार्डर बुक करा लेने चाहियें । मैनेजर 'वीर सेवामन्दिर - ग्रन्थमाला' दि० जैन लालमन्दिर, चाँदनी चौक, देहली अहिंसा-सम्मेलन श्री जैनमिशन की बिहार प्रान्तीय शाखा की ओर से पारसनाथ ( मधुवन) में फागुन मुडी ४ ता० ७ मार्चको एक विराट अहिसा सम्मेलन होगा | अच्छे-अच्छे विद्वान भी पहुँचेंगे | हिंसा प्रेमियों को इस अवसर पर अवश्य पहुँचना चाहिए । संचालक ताराचन्द जैन गंगवाल 'बिहारप्रान्तीय जैनमिशन' माडम (हजारी बाग )
SR No.538013
Book TitleAnekant 1955 Book 13 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1955
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size24 MB
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