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श्रीमहावीरजीमें मुख्तार श्रीजुगलकिशोरजीका सातवीं प्रतिमा ग्रहण
और ५१२५) रु० का दान तथा वीरशासन जयन्ती समाज को यह जानकर अत्यन्त खुशी होगी कि गंगवाल और सोहनलालजी उत्सवमें उपस्थित थे। समाजके वयोवृद्ध साहित्य तपस्वी आचार्य जगुल- उत्सवमें विभिन्न स्थानांसे अनेक व्यक्ति पधारे थ किशोर मुख्तार भगवान महावीरकी उम विशिष्ट मूर्ति जिनमें कुछ स्थानोंके नाम नीचे दिये जाते हैं :के सन्मुख स्वामी समन्तभद्रके स्त्नकरण्डश्रावकचारमें जयपुर, रेवाड़ी जिला गुड़गांव, व्यावर, देहली, प्रदर्शित सम्म प्रतिमाके व्रतोंको धारण कर नैष्ठिक सरसावा, सहारनपुर, नानौता, एटा, फिरोजाबाद, आवक हुए हैं । यद्यपि वे पहले से ही ब्रह्मचर्य व्रतका आगरा, ललितपुर (झांसी) गुना. खेमारी जि० उदय पालन करते थे परन्तु यह उस समय प्रतिमा रूपमें पुर और मेनपुरी जि. एटा आदि स्थानांक सज्जन नहीं था । व्रत ग्रहण करने के पश्चात मुख्तार साहबने सकुटुम्ब पधारे थे । इसके अतिरिक्त स्थानीय मुमुक्षु परिग्रह परिमाणवतकी अपनी सीमाको और भी जैन महिलाश्रमकी सचालिका श्रीमती बु. कृष्णावाई मीमित करनेके लिए वीरसेवामन्दिर ट्रस्टको दिये जी सपरिवार और कमलाबाई आझमकी छात्राएं और गये दानके अतिरिक्त अपने निजी खर्च के लिए रक्ख पाठिकाएँ उसमें शरीक थी । मुमुक्षु महिलाश्रमकी हुग धनमें में भी पाँच हजार एक सौ पच्चीस रूपयां छात्राओंने ता०२७की रात्रिको वीर शासन जयन्तीका के दानको घोषणा की। जिसमें से पाँच हजार एक का उत्सव मनाया था और मुख्तार सा० का अभिनरुपया कन्याओंको छात्रवृत्ति लिए, १०१) वीरसेवा दन भी किया था उत्सव ता. २६ और २७ को मन्दिर विल्डिंग फंडम, ११) तीर्थक्षेत्र कमेटी,२) मुख्तार सा. और मेठ छदामोलालजीकी अध्यक्षतामे
ओषधालय महावीरजीको और पांच पाच रुपया दोनों दोनों दिन मनाया गया था, ता०२७ को प्रातःकाल महिला आश्रर्माको प्रदान किये । इस तरह यह प्रभातफेरी और झंडाभिवादनकं वाद भगवान महाउत्सव सानन्द मम्मन्न हुआ।
बीरकी पूजनकी गई थी। दोपहरको दोनों ही दिन मुख्तार साहबका कार्य आत्मकल्याणकी दृष्टि- सभाएं हुई जिनमें विद्वानोंके अनेक सारगर्भित से समयापयोगी और मरांके द्वारा अनुकरणीय है। भापण हुए जिनमें भगवान महावीरक शासन और
उसकी महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उम पर स्वयं ____वोर शासन जयन्ती
आचरण करनेकी ओर संकेत किया गया। रात्रिमें इस वर्षकी वारशामन जयन्तीका उत्सव श्री महा- लाराजकृष्णजी जैनन शास्त्र मभाकी, और उसमें वीरजी (चांदनगाव) में सानन्द मनाया गया। तीथ व्रत नियम ग्रहण करने तथा दीक्षा लेने की आवश्यक्षेत्र कमेटीकी ओरसे लाउडस्पीकर वगैरहका सब कता, उमका स्वरूप तथा महत्ताका विवेचन किया। सब प्रबन्ध था और कमेटीकं मंत्री सेठ वधीचन्दजी
परमानन्द जैन अनेकान्तका पयूषणांक अनेकान्तके प्रेमी पाठकों और ग्राहकों को यह जानकर प्रसन्नता होगी कि इस वर्ष अनेकान्तका ‘पयूषणांक' निकालनेकी योजना हुई है । इस अङ्कमें दशलक्षणधर्म पर अनेक विद्वानोंके महत्वपूर्ण लेख रहेंगे । अतः लेखक विद्वानों और कवियोंसे सादर अनुरोध है कि वे अपनी अपनी महत्वपूर्ण रचनायें शीघ्र भेज कर अनुगृहीत करें । क्योंकि इस अङ्कको १२ सितम्बर तक प्रकाशित करनेका विचार है। साथ ही विज्ञापन दाता यदि अपने विज्ञापन शोघ्र ही भेज सके तो उन्हें भी स्थान दिया जा सकेगा विज्ञापनके रेट पत्र व्यवहारसे तय करें। निवेदक-परमानन्द जैन
प्रकाशक 'अनकान्त'