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________________ MENT. HTTARA भा Home श्री वीर-जिनका सर्वोदय ती सर्वाऽन्तवत्तद्गुरा-मुख्य-कल्प के सर्वाऽन्त-शून्यच मियोऽनऐक्षम। सर्वा पदामन्तकरं निरन्तं सर्वोदयं तीर्थमिदं तवैव॥ श्रीवीर जिनालय - - -- -- काक सत असन् नित्या जीवा अनेक अनित्य अजीव मोक्ष नन्ध जण्या लोक स्वभाब जक्य/सामान्य पापपरलोक/ विभाव। पयोया विमोष KAIMA/N2/ हिसासुम्या बियाामापेज अहिंसा मिथ्या अविनिर १ पुरुषार्थ प्रमाण नयायुक्ति अहित TARI अगम असुम्स/परमात्मा प्रमारा 2 / N RAHAMASEE/BASS नियनिहतालिम C . तीर्थ सर्व-पदार्थ-तत्त्व-विषय-स्याद्वाद-पुण्योदधे4 व्यानामकलङ्क-भाव-कृतये प्राभावि काले कलौ। येनाचार्य-समन्तभद्र-यतिना तस्मै नमःसन्ततं -कृत्वा तत्स्वधिनायकं जिनपति वीरं प्रणोमि स्फुटम् ॥
SR No.538012
Book TitleAnekant 1954 Book 12 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1954
Total Pages452
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size27 MB
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