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अनेकान्त
[किरण १०
बीमामें मन्दविषसे या माकस्मिक कारणोंके बहाने जामें किसी देशकी या मानव समाजकी गरीबीके ये दस वकले ली जाती है। पर यह व्यक्तिवादका अनिवार्य कारण है। हमें इन सभी कारणोंको दूर करना है। पाप बना हुआ है। यह भी अनुत्पादकार्जन है। किसी एक ही कारवको दूर करनेकी बात पर जोर देने से,
विज्ञापनबाजी और दलालीके भीतसे काम मनु- एक कारण तो दूर किया जाता है पर सरे कारणको त्पादकार्जग है। इससे उत्पादन तो नहीं बढ़ता, सिर्फ बुला लिया जाता है। जैसे साम्यवादी जोग विषम व्यक्तिवादकी लूट खसौटमें ये विचभैये भी कुछ लूट खसोट वितरणको हटानेकी बात कहकर भक्पोत्पादक श्रमको बेते हैं। यह भी व्यक्तिवादका अनिवार्य पाप बना हुया है। इतना अधिक बुला लेते हैं कि विषम वितरणको गरीबीसे ___ यह सब अनुत्पादकार्जन है इससे देश गरीब ही
लेंकडों गुणी गरीबी अल्पोत्पादकश्रमसे बढ़ जाती हैं। होता है। भावश्यक सीमित कलाकृतियाँ भानंद पैदा
इसलिये गरीबीके दसों कारणोंको दूर करना चाहिये और
एक कारण हटानेका विचार करते समय इस बातका करने के कारण अनुत्पादकार्जनमें न गिनी बायंगी।
ख्याल रखना चाहिये कि उससे गरीबीका दूसरा कारण १०. अनुचित वितरण-मेहनत और गुणके अनु
उभदन पदे या इतमाम उमद पदे कि एक तरफ जितनी सार फल न मिलना, यह अनुचित वितरण है। इससे
गरीबी दूरकी जाय दूसरी तरफसे उससे अधिक गरीबी एक तरफ मुफ्तखोरी विलास आदि बढ़ता है दूसरी तरफ
बुला ली जाय। अनुत्पादहीनता बढ़ती है। बेकारी शोषण प्रादि इसीके दुर्भाग्यसे इस समब देश में गरीबीके सब कारणों पर परिणाम है।इसे ही जीवादका पाप कहते हैं। जो कि विचार करने वाले राजनीतिक लोगोंकी कमी है। किसी म्यक्तिवादका एक रूप है। इससे बेकारी फैलती है। एक दो कारणों पर जोर देनेवाले तथा दूसरे कारणों को मजदूरोंमें उत्साह नहीं होता, इससे उत्पादन रुकताके उभारने वाले कार्यक्रमही यहाँ पख रहे हैं। यह देशका
और विषम वितरणसे एक तरफ माल सड़ता है दूसरी दुर्भाग्य है। इस दुर्भाग्यको दूर करनेके लिये सर्वतोमुख वरक मानके लिये जोग पते रहते हैं इस प्रकार इससे दृष्टिसे, विवेकसे और निरतिवादसे काम लेना चाहिये । देश कंगाल होता है।
-'संगम' से
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मैनेजर-वीरसेवामन्दिर,
१दरियागंज, देहली