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________________ विषय-सूची मिड-गुल-स्नोग्रम-[पंडित अाशाधर , ७ कुछ नई बाजें-4. परमानन्द जैन २ मम्माहिल्पक प्रचाग मुन्दर उपहागंकी योजना . ८ अध्यात्मतरंगिणी टीका -[पं. परमानन्द जैन ३ समन्तभवचनामृन-[ 'युगीर' शास्त्री ३० कमौका गमायनिक मम्मिश्रण- अनन्नप्रमाद- त्रामा-[श्री. पूज्य चुल्लक गांशप्रमानजी जैन बी. एम. मी. १२ वर्णी ३. . बंगीय जैन पुरावृत्त- [पा. छोटेलाल जैन ११. हमारी तीर्थ यात्रा सम्मरण-परमानन्न जैन ३६ ६ १७वीं शताब्दी की एक हिन्दो रचना- "माहित्य परिचय र समालोचन [. कम्तूरचन्द्र काशलीवाल एम.ग. २३ - परमानन्द जैन - अनेकान्तकी सहायताके सात मार्ग ()अनेकान्तके 'मंग्सक' नथा 'महायक' बनना और बनाना। (२) स्वयं अनेकान्नक ग्राहक बनना नया दमरीकी बनाना। (३) विशाह-शादी भानिदान नाम पर अनेकनको अच्छी महायता भंजना नया मिजनामा (१) अपनी और में दमगंको अनकान्त भट म्वमा अथवा फ्री भिजवाना. जैम विद्या मंग्यायो लाम रियां समा-मामारियां और जैन-अर्जन विद्वानोंका। (५) विद्यार्थियों आदिको अनकान्त अर्थ मध्यम दनक वि .) याटिकी महायना भेजना। की महायनामें. की अनकान्न अभृज्यमें भेजा जा सकेगा। (१)अमेगन्तके ग्राहकांको अच्छे अन्य उपहार देना नया रिलाना। ()लोकहितकी साधनाम महायक अई मन्ना लेख लिम्बका भंजना नया चित्रादि मामग्रीको प्रकाशनार्थ जुटाना। महायनादि भेजने तथा पत्रव्ययहारका पता: नोट-दस ग्राहक बनानेवान महायकोंको 'अनेकान्त' एक वर्ष तक भंटस्वरुप भेजा जायगा। मैनेजर-'अनेकान्त' वीरमेवामन्दिर, १, दरियागंज, देहली।
SR No.538012
Book TitleAnekant 1954 Book 12 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1954
Total Pages452
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size27 MB
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