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टिप्पणी में दिया है वह डीक नहीं है। हमने ऐसे भेजे जाने के कारण सम्पति हमारे पास नहीं हैं सो सक शब्द पर्य मेद न होने से इस विस्तृत तालिका पण्डितजी प्रकट करें।
. इस लेखके संकेत:- (संशोधन तालिका) अशुदिप '' और 'ब'को तथा 'प' और 'य' का जीकसे नहीं पड़ने के कारण हो गई है जिनमें इजा ऐ चिन्ह वाले सन्शोधन गाथानों पर रिपबयणं, रस्त्यावर्षगयो, द्विवादि और उनका शुरूप णमें भी दखिए क, ख से मवनब गायोके पूर्व और पुजाई वपर्ण, रत्यारापंग चिणं आदि होता है जो उत्तरार्धमे है। तालिका दे दिया गया है।
उपसंहार प्रम्बकारको व्यसन और निवृत्ति शब्दोंक प्राकृतरूप समाजमें न्योंका एड प्रचार हो इस हेतु यह बसण और वियत्ती इष्ट थे नकि विसण, शिबुत्ती। इतने संशोधात्मक लेख लिखा गया है, किसी दुरभिसंधिवश पर भी कुछ स्थल हमें अब भी अस्पष्ट जंचते हैं और नहीं । यदि स्वाध्याय जन इस लेखका समुचित उपयोग स्थल निर्देश पूर्वक नीचे दिये जाते है
करके जाम उठायेंगे और हमारा उत्साह बढ़ावेंगे तो. १३. पम्जत्तयो बत्ति,"१२ क लिइज्ज", भविष्य में ऐसे ही लेख फिर प्रस्तुत किये जायेंगे। १.की सारी गाथा । ३४३ अयतो वि.१९ख भारतीय ज्ञानपीठ काशीक' चाहिये कि वह वसुनन्दि गरेहि तथा सुरक्षणज" ३. मेहिय"२६ ख श्रावकाचार' की अशुद्धियोंकी ओर ध्यान है और उनका
सशोधन ग्रन्थमें लगा कर पाठकोंके लिए सुविधा प्रदान हमके स्पट पाठ पहले हमारे संग्रहमें थे जो पं. करे, तथा भविष्यमें इस पोर और भी अधिक सावधानी परमानन्द बीके पास उनके उपयोग के लिए बहुत पहले रखनेका यत्न करेगी।
अनेक यात्राभोंका सुगम अवमर ?
गुजरनेको गुजर जाती हैं उमरे शादमानीमें,
मगर यह कम मिला करते हैं, मौके जिदगानी ॥ पाल इण्डिया चन्द्रकीर्ति जैन यात्रा संघ देहली
(गवर्नमेन्ट प्राफ इण्डियासे रजिस्टर ) । सुविधा पूर्वक, कम खर्चमें, कम समय। भाराममे धार्मिक साधनों के साथ प्रथम
श्री सम्मेदशिखरजीकी ओरभूमा, तीर्थयात्रा, अवकाश पुण्य संचय. इस चतुमुखी ध्येयको लेकर ही अन्य वर्षोंकी भांति इस वर्ष भी अनेक स्नेही बन्धुगयोंके अतीव भाप्रसे मंगशिर मास में नवम्बर सन् ११३ के आखिरी सप्ताहमें जानेका निश्चय किया है। पुम्देलखण्ड तथा उत्तर पूर्वीय जैन तीर्थक्षेत्रोंकी यात्रा जिसमें मुख्तया पूज्य वीजीके दर्शन व उपदेश बाम, चम्पापुर, पावापुर, कुण्डलपुर, श्री सम्मेद शिखरजी माद उस प्रान्तके सभी प्रमुख तीर्थ पेन व कानपुर, बखनक, बनारस, इलाहाबाद मादि विशाल शहरोंका सुन्दर भापोजन है। समय लगभग 1 माह होगा। विशेष विवरणव | जानकारीको निम्न पते पर लिखें-प्रस्थान २० दिसम्बर सन् १९५६ सीट सार्च-1) सीट बुक • दिसम्बर तक। हेड आफिम-भाल इण्डिया चन्द्रकीति जैन यात्रा संघ,
( रजिस्टर्ड ) २२६३ घरमपुरा, देहली। नोट-मारा दूसरा संघ गिरनार बाहुबली मादि विशाल यात्रामोंको समय २ मासके लिए इस वर्ष भी जनवरी
सन् १९५० के सप्ताहमें जाना निश्चित है। इस वर्ष यात्री संख्या बहुत थोड़ी ले जाना है। अतः सीटें शीघ्र ही रिजर्वरा लेवें। प्रोग्रामको बिखें।