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________________ विषय-सूची लबद्रव्यसंग्रह - सम्पादक . ... १४. . हमारी नीर्थयात्रांक मम्मरण२ ममन्ननद-वचनामृत-[युगवीर ... 19 [परमानन्द जैन शाम्या ३ राजस्थान के गैन शास्त्र भगडागम उपलब्ध ६ कुरलका महत्व और जैनाव श्रीविद्याभूपण महत्वपूर्ण ग्रन्थ -[ले. कम्तर चन्द . गोविन्दराय जैन शास्त्री ... १६८ जन कापलीवान एम० ए० ... १५५ ७ याहिन्य परिचय और समालोचन [परमानन्दजन १७१ ५ हिन्दी जन-माहित्यको विशेषता ८ माधु कौन है ? (एक प्रवचन)-[श्री १०५ पूज्य श्रीकुमारी किरण वाला जैन ... ११ घुलक गणेशप्रसाद जी वणी .. १७३ श्रीवाहुबलि-जिनपूजा छपकर तय्यार !! श्री गोम्टेश्वर बाहुबलिनी की जिस पूजाको उत्तमताके माथ छपानेका विचार गत मई मामकी किरण में प्रकट किया गया था वह अब संशोधनादिके माथ उत्तम प्राट पेपर पर मोटे टाइपमें फोटो ब्राउन रङ्गीन म्याहीसे छपकर तयार हो गई है। माथमें श्रीबाहुबलीजीका फाटी चित्र भी अपूर्व शोभा दे रहा है। प्रचारकी दृष्टिसे मूल्य लागतसे मी कम रखा गया है। जिन्हें पूजा तथा प्रचारके लिये आवश्यकता हो वे शान हो मंगानेवें; कांकि कापियाँ थोड़ी ही छपी है, १०० कापी एक साथ लेने पर १२, रु. में मिलेगी। दो कापा तक एक आना पाप्टेज लगता है १० से कम किसीको वो पी० से नहीं भेजी जाएंगी। मैनेजा- वाग् संवामन्दिर' दरियागंज, दिल्ली। अनेकान्तकी सहायताके सात मार्ग (1) अनेकान्तक मरतक'-;. 11' बनना यार बनाना । (२) भ्वयं अनेकान्तक ग्राहक बनना नशा दपराको बनाना । (३) विवाह-शादी आदि दानके श्राय पर अनेकान्नको अच्छी यहायता भेजना नया भिजाना । (४) अपनी पार मे दमगंको अनेकान्त भेट-म्बर अथवा फ्री भिजवाना; जैसे विमा संम्याश्री, लायरिया, मभा-मांसाइटियां और जैन-अजैन विद्वानाको । (५) विद्यार्थियों आदिको अनेकान्त अर्ध मल्यम देने के लिये २५), ..) आदिकी सहायता भंजन।। की महायनामें १० को अनेकान्त अमृत्यमे भेजा जा सकेगा। (६) अनेकान्तके ग्राहकोंको अच्छे ग्रन्थ उपहार दना तथा दिलाना । (७) लोकहितकी माधनाम सहायक अच्छे मुन्दर लब लिखकर भेजना नया चित्रादि मामग्रीको प्रकाशनार्थ जुटाना। नोट-दम ग्राहक बनानेवाले महासकांको महायतादि भेजने तथा पत्रव्यवहारका पना:'अनकान्न' एक वर्ष नक भेट. मैनेजर 'अनेकान्त' स्वरूप भेजा जायगा। वीरसेवामन्दिर, १, दरियागंज, देहली।
SR No.538012
Book TitleAnekant 1954 Book 12 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1954
Total Pages452
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size27 MB
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