________________
विश्वतत्व-प्रकामाक
वार्षिक मूल्य ५)
इस विशेषाङ्कका मूल्य २)
नीतिविरोषवसीयोकव्यवहारवर्तकसम्म परमागमस्यबीजभुबनेकर कर्जपत्यन्त
सम्पादक-जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर'
-
मार्च
वर्ष ११ किरण १
वीरसेवामन्दिर सरसावा जि. सहारनपुर फाल्गुन शुक्ल, वीर-संवत् २४७८, विक्रम संवत् २००८
बीर-वन्दना शुद्धि-शक्तिको पराकाष्ठा को अतुलित प्रशान्तिके साथ । पा, सत्तीर्थ प्रवृत्त किया जिन नमें वीर प्रभु साञ्जलि-माथ ॥१॥ जीते भय, उपसर्ग - परीषह जीते, जिनने मनको मार ; जीतीं पंचेन्द्रियाँ जिन्होंने औ' क्रोधादि-कषायें चार । राग-द्वेष-कामादिक जीते, मोह-शत्रुके सब हथियार ; सुख-दुख जीते, उन वीरोंको नमन करूं मैं वारंवार । जिन वीरोंने कर्म-प्रकृतियोंका सब मूलोच्छेद किया ; पूर्ण तपश्चर्याके बलपर स्वात्म-भावको साध लिया । उन सिद्धोंको सिद्धि-अर्थमें वन्दै अतिसन्तुष्ट हुआ ; उनके अनुपम-गुणाकर्षमे भक्ति-भावको प्राप्त हुआ ॥
-युगवीर