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अनेकान्त
Lकिरण १२
जो हाल बाप-बेटेका है वही पति-पत्नीका । एक मित्र वाली कड़वाहटमें बदल जाती है यदि हम सब दूसरे के है। रातमें ग्यारह बजे क्लबसे लौटते हैं तो पत्नी सोई दृष्टिकोणको समझने का प्रयत्न करें, तो बड़े बड़े विवाद यां मिलती है। एक दिन दुखी होकर बोले..."मैं सुबह है ही शान्त हो सकते हैं। दूसरेके दृष्टिकोणको समझनेका बजेसे कोई १४.१५ घण्टे घरसं बाहर रहकर लौटता है तो प्रयत्न एक ऐसी प्रवृत्ति है जो वातावरणको कोमलतासे भर श्रीमतीजी भैंस-सी पलंगपर सवार मिलती हैं।" देती है। यह कोमलना समन्वयके लिये जगह बनानी है
और इस प्रकार बीचको दूरी कम होकर एकताका जन्म एक दिन बातों-बातों में मैंने कहा-"भाभीजी, आपसे
होता है। भाई साहबको एक शिकायत है।" भरीतो बैठी ही थीं,
यदि दृरो इतनी अधिक और मौलिक हो कि एकता बीच में ही बात काटकर बरस पड़ी-"ठीक है आपके
असम्भव रहे नबभी यह दूरी इतनी कम जरूर रह जाती भाई माहबको शिकायत है, पर पूरे १८ घंटे तेलीके बैल की
है कि बीच में एक हल्का मनभेदही रह जाए और मन भेद तरह काममें जुटी रहने के बाद, जरा पलंगमे कमर लगानी
तक बात न बढ़। हूँ तो उनके कलेजे मकौड़े क्यों दौड़ने हैं।"
दूसंग्को हमेशा उसकी आँग्बम देग्विये और सावधान वही बात कि दो काने एक गाँठमें बंध गए और पति
रहिए उस खतरेस जी दूरबीनको उल्टी करके देखने महाशय पत्नीको और पत्नी महोदया पनिको अपनी अपनी
पैदा होता है ! यहीं यह भी कि सत्य वही और उतनाही भाग्यमे घुर रहे हैं।
नहीं है कि जो जितना आप देख पाए । फिर यह भी तो अपरिचित मुसाफिर या परिचित मित्र, मगे सम्बन्धी सम्भव है कि हाथीके स्वरूपका अलग अलग वर्णन करन या पति-पत्नी और पिता-पुत्रसे प्रास्मीय; जब दो भिन्न
वाले वे दोनों आदमी शत प्रतिशत सच्चे होकरभी बस विचारोंके लोग आपसमें बातें करते हैं और एक दूसरेसे लिये अधरे हा कि एकने हाथीको देखा था मूकी सहमत नहीं हो पाते, तो एक दूसरेको बेईमान मान बैठते तरफसे और दसरेने पूछकी तरफ। हैं और इस प्रकार सुलझाने वाली बातचीत, उलझाने
( नया जीवनमे)
अनेकान्तकी फाइलें
'अनेकान्त' जैन समाजका उच्चकोटिका एक ऐतिहासिक और साहित्यिक सचित्र मासिक पत्र है। जो संग्रहणीय एवं पठनीय है। इस पत्रको पिछले ४ वर्षसे ११वें वर्ष तक की कुछ फाइलें अवशिष्ट हैं । प्रचारकी दृष्टिसे जिनका मूल्य लागत मात्र लिया जाता है। जिन्हें आवश्यकता हो वे शीघ्र मंगवालें । अन्यथा फिर नहीं मिलेंगी । पोस्टेन रजिस्टरी पैकिंग आदिका सब खर्च अलग होगा।
मैनेजर 'अनेकान्त' १ दरियागंज, देहली।