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________________ ४०८] भनेकान्त [किरण १२ (३) लेख चिन्ह वगैरह कुछ नहीं। प्रतिमा सप्तभातुकी mxn (४)संवत् मिती लेख इस मुजबहै:-शांतिनाथ विरा फो.न.पा. रा श्री। मृततमैई प्रतिमा पार्श्वनाभकी सप्तधातुकी २॥४२॥ लेख अशुद्ध है। (६५) मूल संघ । लेख संवतादि कुछ नहीं । प्रतिमा पारनाकी सप्तधातुकी nxn (६६-६७) "२ छोटी सप्त धातुकी xmx॥ (८) चरण पादुका सप्त धातुकी २४॥ (1) लेख वगैरह सब घिस गये। प्रतिमा श्वेतपाषाणकी ॥४॥ (..) चौमुखी काले पाषाणकी लेख चिन्ह वगैरह कुछ नहीं Ex ६२ सप्तधातुकी चाँदीकी श्वेत पाषाणकी काले पषाणकी पीलेपाषाणाकी स्फटिकमयिकी २ पद्मावतीकी चरणपादुका समधातुकी म्नाये भहारक जिनचन्द्रदेवा तद् शिष्य रत्नकीर्ती पं० मीहाख्य तदाम्नाये खडेलवालान्वये भेसा गोत्रे सा. पासू तद्भार्या साध्वी रोहिणी तद पुत्र अडूसा पोल्हण सा• होलाहा तदनन्दना स्तः हालू यहिराज भूर यान मा संज्ञा एतदया पूजयति । ३ दशलक्षणयंत्र- सं० १५७३ फाल्गुन बदि ३ % मूलसंधे कुन्दकुन्दाचार्यन्वये भ• जिनचंद्रदेवा पत्प भ. श्रीप्रमाचन्द्रदेवा तदाम्नाये खंडेवालान्वये ठाल्या गोत्रे पं. मूना भार्या सामू तत्पुन सेठ होलासि एवोपति राजा होला भा होलाश्री तत् पुत्र कृल्हा पासू तेजपाल स्योपति भा० विगसीरी तद् पुत्र कुता कुल्हा भा. देव तद पुत्र करमाठा सूसीदा सोनपाल जावड़ पोल्ह नित्यं प्रणमति । ४ जलयंत्र-सं० १५७६ मगसर मासे शुक्ल पक्षे १० शुक्रवारे श्रीमूलसंधे महरीषभसेन गणधरान्वये पुष्कर गच्छे संनगणे भट्टारक श्री गुणभद्रोपदेशात् हुबंड ज्ञातीये साह वदा भार्या रीगाद सुत पं. श्रीचन्द्र सारग जलयात्रा यंत्र प्रतिष्ठाय नित्यं प्रणमति शुभं भवतु । ५ दशलक्षणयंत्र-सं० १६३६ वैशाख यदि = चन्द्रवासरे श्री कहासंघे माथुरगच्छे पुस्करगणे भ. श्री कमलकीर्ती देवा तत्पट्टे भ. श्री शुभचन्द्र देवा तत्प भट्टारक यशः सेन देवा तदाम्नाये पद्मावतीपुरवालान्वये साः वहाँरंगू तत्पुत्र साः दिनकरभादिवो तयो पुत्र त्रयं साहविंशा परिमल दोत्री पुत्र दूगरसी भा. पुन चिः नथमल एतेषां मध्ये सा.दिनकर इदं यंत्र करापितं। ६ दशलक्षणयंत्र-सं. १६८५ माह सुदि ५ गुरूवारे श्री काष्ठासंघे माथुर गच्छे पुष्कर गणे लोहाचार्याम्नाये भहारक श्री यशःकीर्ती तत्पट्ट भ श्री क्षेमकीती तस्पर्ट भट्टारक श्री त्रिभुवनकीर्ती तत्प भ. सहनकीर्ति शिष्य जयकीर्ति तदाम्नाये पातिसाह श्री सांहजांह खूरम 'दिल्ली गज्ये क्यामखां वंशे फतेहपुरे दिवान अलीखा तत्पुत्र दिवान श्रीदौलतखां राज्ये गर्गगोरा साः सांद तरत्र साः पाल्हा ता पुत्र माला तस्य भार्या जराना पुत्र तेजपाल महारक श्री सहस्त्रकीर्ती उपदेशे साः माला दशनपणी यंत्र प्रतिष्ठापित फतेहपुर मध्ये। मोटा-जहाँ भासन न लिखा हो वहां पद्मासन सममना। बीर संवत् २४५४ वि.सं. १९८४ में फतेहपुर में प्रतिष्ठा शिषचन्दरायके पुत्र सूरजमल पहाण्या ने पं० सुन्दरताल बेसवेवालासे कराई थी। ___ ताम्रयन्त्र अभिलेख , सम्यग्दर्शनयन्त्र-सं० १५४३ मगसर वदि १३ गुरु बार श्री मूलसंघे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भहारक श्रीपद्मनन्दि देवास्प भ०श्रीशुभचन्द्र देवारपट्टे भ.श्री जिनवबदेवा तव भाम्नाये सेतवालान्वये चौधरी बखीराज तत्पुत्र चौधरी पुरजनशाहजुके लूख मामातस्तेसुमध्ये नवग्रामपुर वासतम्य चौधरी सुरजन तत्भार्या सीखवती सती रोतीयो पुत्र भराज, यशोधर एतत्सुमध्ये चौधरी सुरजनने श्री सम्यग्दर्शन यन्त्र करापितं प्रतिहापितं । . सोखहकारवयंत्र-सं. १९५८ बैशाख सुदि। सोमपासरे रोहवं मूबसंघ सरस्वति गच्चे भीडन्दकन्दा
SR No.538011
Book TitleAnekant 1952 Book 11 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1952
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size29 MB
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