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________________ किरण ११] वीरसेवामन्दिरका संक्षिप्त परिचय [३८६ ग्रन्थ है, ५ श्रावण कृष्ण-प्रतिपदाकी स्मरणीय तिथि, ६ बुन्देलखण्डके कविवर देवीदास, ६२ ब्रह्म जिनदास, ६३ शिक्षाका महत्व, ७ अतिप्राचीन प्राकृत पंचसंग्रह. ८ गो- कविवर बुधजन और उनकी रचनाएं, ६५ हेमराज गोदीम्मटसार संग्रह-ग्रन्थ है, थहिंसातव, १० श्वेताम्बर का और प्रवचनसारका पद्यानुवाद, ६५ विजा लियाके कर्मसाहित्य और दिगम्बर पंचसंग्रह, १७ अर्थप्रकाशिका शिलालेख, ६६ क्या मूलाचारके कर्ता कुन्दकुन्द हैं? और पं० सदासुखजी, १२ गोम्मटसार-कर्मकाण्डकी ब्रटि- ६७ साहित्य-परिचय और समालोचन । पूर्ति, १३ सिद्धसेनके सामने सर्वार्थ सिन्द्रि और राजवार्तिक, १४ गोम्मटसार-कर्मकाण्डकी टिपूर्तिके विचार पर प्रकाश, ५० दरबारीलाल न्या०- परीक्षामुख और उसका उद्गम, २ वीर-शासन और उसका महत्त्व, ३ समन्तभद्र .१५ कर्मबन्ध और मोक्ष १६ तत्वार्थसूत्रके बीजोंकी खोज ६७ त्रिलोकप्रज्ञप्तिमें उपलब्ध ऋषभदेवचरित्र, १८ बना और दिग्नागमें पूर्ववर्ती कौन ? ४ तत्वार्थसूत्रका मंगलारसीनाममाला, १६ श्वेताम्बरों में भी भगवान महावीरके चरण (दो लेख), ५ भगवान् महावीर और उनका अहिंसा सिद्धान्त, ६ क्या नियुक्तिकार भद्रबाहु और अविवाहित हानेकी मान्यता, २० वरांग चरित दिगम्बर है या श्वेताम्बर ? २१ अपभ्रंश भाषाका शांतिनाथचरित्र, स्वामी समन्तभद्र एक हैं? ७ क्या रस्नकाण्डश्रावकाचार २२ अपभ्रंश भाषाके प्रसिद्ध कवि रहधू २३ कविवर स्वामी समन्तभद्की कृति नहीं है? - नागार्जुन और भगवतीदास और उनकी रचनाएं, २४ पउमचरिउका समन्तभद्र साहित्य परिचय और समालोचन, १०श्राचार्य अन्तःपरोक्षण, २५ बागा भागीरथजी वर्णी, २६ समर्थन .अनन्तवीर्य और उनकी सिद्धिविनिश्चय टीका, ११ प्राचार्य २७ मुद्रित श्लोकवार्तिककी टिपूर्ति, २८ जयपुरमें एक विद्यानन्दका समय और स्वामी वीरसेन, १२ प्राचार्य महीना २६ धनपाल नामके चार विद्वान ३० भगवती माणिक्यनन्दिके समय पर अभिनव प्रकाश, १३ प्राचार्य दास नामके चार विद्वान, ३१ शिवभूति. शिवार्य और विद्यानन्दके समय पर नवीन प्रकाश, १४ क्या भद्रबाहु स्वामी और नियुक्तिकार एक हैं ? १५ गुणचन्द्र मुनि शिवकुमार, ३२ सुलांचनाचरित और देवमेन, ३३ श्री कौन हैं? १६ गजपन्थ क्षेत्रका अति प्राचीन उल्लेग्व, चन्द्र नामके तीन विद्वान ३४ अतिशय क्षेत्र चन्दवाड, १७ क्या वर्तनाका अर्थ ग़लत है? १८ कौन सा कुंडल३५ अमृनचन्द्रमूरिका ममय ३६ दिल्ली और दिलीकी राजावली, ३७ अपभ्रंश भापका जैन कथा साहित्य, ३८ गिरि सिद्धक्षेत्र है, १६ रत्नकरण्ड और प्राप्तमीमांसाका कनिवर लक्ष्मण धार जिनदत्त चरित्र ३६ धर्मरत्नाकर एक कर्तृत्व प्रमाणसिद्ध है, २० रत्नकरण्ड-टीका और और जयसेन नामक प्राचार्य, ४० भगवान् महावीर ४ प्रभाचन्द्रका समय, २१ वीरसेनस्वामीके स्वर्गारोहण-समय पर एक दृष्टि, २२ 'संजद' पदके सम्बन्धमें अकलंकदेवका महाकवि सिंह और प्रद्युम्नचरित, ४२ श्रीधर या विबुधश्रीधर नामके विद्वान, ४३ चतुर्थ वाग्भट्ट और उनकी महत्त्वपूर्ण अभिमत, २३ वादीभसिंहसूरिकी एक अधूरी कृतियों ४४ ब्रह्म श्रनमागरका समय और साहित्य, २५ अपूर्व कृति, २४ समन्तभद्र भाष्य, २१ संजयबेलट्टि पुत्र और स्याद्वाद। अपभ्रंश भाषाके दो महाकाव्य और नयनन्दी, ४६ ग्वालिया-किलेका इतिहास, ४७ पं० दौलतराम और उनकी बाबू सूरजभान वकील-१ अदृष्ट शक्तियां और रचनाएं, ४८ पं० सदासुखदासजी, ४६ श्राचार्य- पुरुषार्थ, २ गोत्रकर्माश्रित उंचता-नीचता, ३ गोत्र-लक्षणोंकल्प पं. टोडरमल जी, ५० पांडे रूपचन्दजी और उनका की सदोषता, ४ जातिमद सम्यकृत्वका बाधक है, धार्मिक साहित्य, ११ महाकवि रहध, १२ यशोधरचरित्रके कर्ता वार्तालाप, ६ भगवान् महावीरके बादका इतिहास, ७ पद्मनाभ कायस्थ, ५३ सोलहवीं शताब्दीके दो अपभ्रंश भाग्य और पुरुषार्थ, ८ वीर प्रभुके धममें नातिभेदका काव्य, ५४ भगवान् महावीर और उनका सर्वोदय तीर्थ, स्थान नहीं, वीर भगवानका वैज्ञानिक धर्म, १० हरी ५५ कविवर पं० दौलतराम,५६ आमेर भंडारका प्रशस्ति- साग-सब्जीका स्याग, ११ वीतराग प्रतिमाओंकी अजीब संग्रह, ५७ कविवर द्यानतराय, २८ कविवर भगवतीदास प्रतिष्ठा-विधि, १२ जैनधर्मकी विशेषताएँ, १३ हम और प्रथम और उनकी रचनायें, ५६ अपभ्रंश भाषाका पास- हमारा यह सारा संसार, १४ धर्माचरणमें सुधार, १५ चरिउ और कविवर देवचन्द, ६० प्राचार्य कुन्दकुन्द, ६, भगवान् महावीर और उनका उपदेश ।
SR No.538011
Book TitleAnekant 1952 Book 11 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1952
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size29 MB
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