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किरण ११ )
४५-४६ पांडवपुराण, इरिवंशपुराण (यशःकीर्ति), ४७-४८ हरिवंशपुराण तथा परमेष्ठिप्रकाशसार (श्रुतकीतिं), ४६-५० सम्यकःव गुणनिधान तथा सुकौशलचरित्र (कविरद्दधू), ५१ भविष्य माधवदत्तकथा ( श्रीधर ) ५२-५३ नागकुमारचरित तथा अमरसेनचरित (कवि माणिक्यराज ५४ मृगांकलेखा चरित (कवि भगवतीदाम), १५ शांतिनाथचरित इल्जराजसुन महाचन्द्र) इत्यादि, जिनका रचना समय साथमें लगा हुआ है । और जिनका रचना समय साथमें उपलब्ध नहीं है उनके कुछ नाम इस प्रकार हैं : – ५६ सुलोचनाचरिन (गणिदेवसेन), २७ प्र म्नचरित्र (कवि सिंह), २८ पुरंद रविधानकथा (श्रमर कीर्ति) ५६ चन्द्रप्रभचरित्र (यशः कीर्ति) ६० पार्श्वनाथ चरित्र (कवि देवचन्द्र), ६१ नेमिनाथचरित्र (कवि लक्ष्मण) ६२ सुकुमालचरित्र (मुनि पूर्णभद्र ), ६३ श्रीपाल चरित्र ( नरमेन ), ६४ मल्लिनाथचरित्र ( जयमित्रहल अथवा हरिचन्द), ६५-६७ चुनडी, निर्भर पंचमीकथा तथा पंचकल्याणक (विनयचन्द्र ), ६८ निर्वाणभक्ति मुनि उदयकीर्ति), ६६ सुगंधदसमीकथा कवि देवदत्त) ७० श्रणथमी कथा ( कवि हरिचन्द्र अग्रवाल), ७१-८६ पद्मपुराण, धन्यकुमारचरित्र, श्रीपाल चरित्र, मंधेश्वर चरित्र, यशोधरचरित्र श्रात्मसंबोधकाव्य, वृत्तंसार, सिद्धान्तार्थसार, जीवंधरचरित्र, नेमिनाथजिनचरित्र, पुण्यास्त्रत्रकथा कोश, श्राथमी कथा, सम्मतिजिनचरित्र नेमिनाथ जिनचरित्र, पार्श्वपुराण तथा करकंडुचरित्र, ८०-१०० भ० गुणभद्रकृत मी क, पासवकथा, चाकाशपंचमीकथा, चान्द्रायण कथा चन्दनपष्ठी कथा, दुदार कथा निदु वनसमी कथा, मकुटमप्तमी रम्नत्रय कवा, दृशलाक्ष ण कथा श्रनन्तकथा, सुगंधदशमी कथा और लब्धिविधानकथा, १०१ श्रादित्यवारकथा ( कवि नेमिचन्द्र), १०२ निदुग्वसप्तमीकथा ( बालचन्द्र ), १०३ सविधानकथा (विमलकीर्ति), १०४ ज्ञानपिण्डकी पाथडी, (कविवीर) १०५ संभवनाथ चरित्र ( कवि तेजपाल ) सफल विधिविधान (नयनंदि ) इत्यादि ।
वीर सेवामन्दिरका संक्षिप्त परिचय
प्राकृत ग्रन्थ- १०६ अर्धकांड ( दुर्गदेव), १०७ चरणमार (ब्र० सोभारण) १०८ क्रियासार ( गोतम ।
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११४- ११५ अनेकार्थनाममाला तथा सीतासतु (पं० भगवतीदास) ११६-११६ पंचमगतिकी बेल, श्रावकाचारबत्तीसी, श्रात्मपच्चीसी तथा सीखपच्चीसी (भ० हर्षकी तिं) १२० त्रेपनक्रिया (ब्रह्मगुलाल ), १२१ सोलहकारणरासा (भ० सकलकीर्ति) १२२ मनकरहा (ब्रह्मदीपचन्द) १२३ स्नप्रबन्ध (भ० देवेन्द्र कीति), १२४ अध्यात्मवारह खड़ी (१० दौलतराम ) ।
प्रद्य
हिन्दी-ग्रन्थ — १०६ श्रागमशनक (पं० थानतराय) ११० प्रवचनसारका पद्यानुवाद पं० हेमराजगोदीका), १११-११२ दर्शनपाहुड तथा प्रवचनसारका पद्यानुवाद (कवि देवीदास), ११३ नेमिनाथरासा (पाण्डे रूपचन्द),
मिश्रित भाषा ग्रन्थ - १६५ छन्दविद्या (कवि राजमल ) अनुपलब्ध ग्रन्थ- जिन ग्रन्थोंके निर्माणादिका दूसरे ग्रन्थोंसे पता चला है और जो अभी तक उपलब्ध नहीं ऐसे ग्रन्थ भी बहुत हैं। यहां उनमेंमें थोड़ेसे संस्कृत ग्रंथोंके नाम नमूनेके तौर पर दिये जाते हैं-१ श्रष्टांग वैद्यक ( समन्तभद्र २-३ विषग्रहशमनविधि तथा नीतिसारपुराण (सिद्धसेन ) ४-६ नेमिनरेन्द्रस्तोत्र स्वापज्ञटीकासहित, शृंगारसमुद्रकाव्य तथा सुषेणचरित्र (पं० जगन्नाथ) ७ श्रात्मसम्बोधन ( भ० ज्ञानभूषण), ऋषभदेव महाकाव्य ( नेमिकुमारसुन वाग्भट)। इनके अलावा कितने ही महत्वपूर्ण ग्रन्थ ऐसे भी हैं जिनकी अनुपलब्धिका पता इन पंक्तियांक लेखकको वीर-संवामन्दिर की स्थापनासे पहलेही लग गया था और जिन्हें समन्तभद्राश्रम विज्ञप्ति नं० ४ में परिचय तथा परितोपिककी योजना के साथ प्रकाशित किया गया था श्रीर जिन २० प्रथोमेंसे अभी तक प्रायः तीन चार ग्रन्थ ही उपलब्ध हो सके हैं।
(a ) ऐतिहासिक अनुसन्धान द्वारा इतिहास विषयकी मैया का पता चलाया गया, कितनी ही श्रुतपूर्व घटनाओं का सामने लाया गया, अनेक प्राचार्यों तथा दूसरे विद्वानोंके समयादिकको खोजकी गई और उनकी कितनी ही कृतियां का ठीक रचनाकाल मालूम किया गया। साथ ही, कुछ याचायोंके समय-सम्बी उलझन को सुलकाकर उनका निश्चित समय स्थिर किया गया-जैसे समन्तभद्र, थकलंक, विद्यानन्द, माणिक्यनन्दी, प्रभाचन्द्र और मृतचन्द्रादिका समय । दूसरी भी कुछ विवादापन बातों का निर्णय किया गया। धनपाल चतुर्थ श्रौर वाग्भट्ट चतुर्थका उनकी कृतियां सहित नया पता लगाया गया । श्रीधर तथा विबुधश्रीधर में भेदकी घोषणा की गई । इनके सिवाय और भी बहुत-सी बातें हैं जिन्हें खोजद्वारा निर्णीत किया गया है और जिन सबका परिचय देना यहां अशक्य
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