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विषय-सूची
१ सरस्वती स्तवन-मलयकीर्ति ... ३६२ ५ दक्षिण भारतमें राजाश्रय और उसका २ कुछ नई खोजें-[पं० परमानन्द शास्त्री ३७० अभ्युदय [श्री टी० एम० रामचन्द्रन एम० ए० ३७८ ३ सरस्वती भवनोंके लिये व्यावहारिक
६ वीर सेवा मन्दिरका संक्षिप्त परिचय ३८१ योजना [एन० सी० वाकलीवाल ... ३७४ [पं० जुगलकिशोर मुख्तार ४ सूतक-पातक विचार-रतनचंद जैन मुख्तार ३७६ ७ विद्वत्समाजकी दृष्टिम वीरसेवामन्दिर
* सूचना अनेकान्तके ग्राहकों और प्रेमी-पाठकोंसे निवेदन है कि वीर सेवा मन्दिर पारिवार 'श्रवणबेलगोल' की और अन्य तीर्थ क्षेत्रोंकी यात्रार्थ २६ जनवरीका जाता है। अतः इस वर्षकी १२६ किरण यात्रासे वापिस आने के बाद अप्रलमें प्रकाशित होगी। और नये वर्प (१२वीं) की प्रथम किरण जूनमें यात्रांक' नामसे विशेषांकरूपमें प्रकाशित होगी। सूचनार्थ निवेदन है।
-प्रकाशक
वण बेल्गोलमें वीरसेवामन्दिरका नैमित्तिक अधिवेशन
श्रवणबेल्गोलमें श्री बाहुबलीके मस्तिकाभिपकके शुभ अवसरपर वीरसेवामन्दिरका एक नैमित्तिक अधिवेशन होगा। जिसमें संस्थाके भावी कार्य-श्रमके सम्बन्ध में विचार किया जावेगा। अधिवेशनकी तारीखें बादको समाचार पत्रों द्वारा प्रकाशित कर दी जावेगी।
-व्यवस्थापक
राजकृष्ण जैन
अनेकान्तकी सहायताके सात मार्ग
(१) अनेकान्तके 'संरक्षक' तथा 'सहायक' बनना और बनाना । (२) स्वयं अनेकान्तके ग्राहक बनना तथा दसराको बनाना। (३) विवाह-शादी आदि दानके अवसर पर अनेकान्तको अच्छी महायता भेजना तथा भिजवाना। (४) अपनी ओरसे तृसराको अनेकान्त भेंट-स्वरूप अथवा फ्री भिजयाना; जैसे विद्या-संस्थायी, लायरिया,
समा-सोसाइटियों और जैन-श्रजैन विद्वानोंका । (१) विद्याथियों श्रादिको अनेकान्त अर्थ मूल्यम देनेके लिये २१),२०) श्रादिकी सहायता भेजना। २५) की
सहायतामें १० को अनेकान्त अर्धमूल्यमें भेजा जा सकेगा। (६) अनेकान्तके ग्राहकांको अच्छे ग्रन्थ उपहारमें दे ना तथा दिलाना। (७) लोकहितकी साधनामें सहायक अच्छे सुन्दर लेख लिखकर भेजना तथा चित्रादि सामग्रीको प्रकाशनार्थ जुटाना।
महायतादि भेजने तथा पत्रव्यवहारका पता:नोट-दस ग्राहक बनानेवाले सहायकोंको
मैनेजर-'अनेकान्त' 'अनेकान्त' एक वर्ष तक भंट
वीरसेवान्दिर, अहिंसा मन्दिर बिल्डिंग स्वरूप भेजा जायगा।
१, दरियागंज, देहली