________________
किरण ]
हरभरि दास करे भार ब्रह्मजिनदास शिष्य निरमला, नेमिदास x सविचार । पढाई पढायो बिस्तरो परमहंस भवतार ॥८॥ जिन शासन प्रति निरमी, त्रिभुवन माहिं उग अनमि अनमि सेवीस, महाभिनदास मयेग
इति परमहंसको रास समाप्त। पूर्व रखोक संख्या ३०० (नवी)|
प्रतिपरिचय - साइज ४॥ ४११४, पत्र २८ प्रति पृष्ठ पति ११ प्रतिपंकि अक्षर ४६, अक्षर बड़े एवं सुवाच्य ।
अझ जिनदासका एक अज्ञात रूपक काव्य
अब जयशेखरसूरि परमहंसपदम्य और प्रस्तुत परमहंसरासक शब्द साम्यके कुछ उदार उपस्थित किये आरहे है:
प्रबन्ध
तेजबन्त त्रिहुभवन मकारि, परमहंस नरबर अवधारि । जे जगवा पाप, दिनदिन वा अधिक प्राय ॥
इस पथके समान भाव गला रासका नम्बर २ वाला पथ ऊपर उद्धत किया जा चुका है, उसमे नीचे वाली पंचिका शब्द साम्ब विशेष रूपसे व जे योग्य है। अपो नदि बाग पाए' है हो रासमें
'नाम बीघइ जाइ बहु पाप' है। इसके भागेका वाक्य तो 'दिनदिन वा प्राय दोनोंमें एक समान अम्ब उदाहरण भी देखिये
1
प्रबन्ध -
बाचित मी त्रिभुवन माह महर कुरीति समाह दिपर कोहिहि जिसिट,
देवनं विसि एक भये पहिज अरिहंत, एरख हरिहरु भलु भगन्तु ।
रास -
निश्चय नय त्रिभुवन माहि भाइ,
दावा शरीर समाह बोर्ड विस्वार,
ज्ञान दिया नदि खामे पार ॥२॥ पनि भगवन्त, ए मझा ईश्वर ए सन्त ।
एक कहै
x आपके अन्य शिष्य मनोहर महिदास
हरिवंश रास (० १२१०) में भी है।
प्रवन्ध
काम परवदि
कुसुमिहि परिमल गोरसिनेहु ।
विवाहिते जिम याड़िक पार
[२१५
विनमसि जसरी
इस पथके भावको रामें विम्मोक पथोंमें द साम्यके साथ अधिक स्पष्ट किया है। पाषाण माहिं सोनो बिभोर खिमारे देख बसेक्सि बंग, मिसरीर भावमा भंग काम अनि जिमि हो, कुसुम परिम
मादे सबद सीत जिमि नीर, तेम भावमा बसे बगत सरीर ।
प्रयन्ध
राणी वासु चतुर चेतना, केला गुण बोखड बेहटमा । राठ राखी बेमन महिं मेखि निरन्त करइ कलोहस केवि । नको मनरंगी नारि, साम ी सहनि सविकारि ।
रास
चेतना राव्ही तेह ती जायि, गुय अनन्ता बहुत बचाणि । राणी राब ध्यान मेखि निरन्त का कोहख केसि |
नव जोवन नवरंगी नारि
सामड़ी सहजे (स) विकार !
प्रबन्ध---
अमृतकुड किम विष बाबा, सुधाकर किम अंगार । रवि किसोर अंचार,
रास
अमृतकुड मांहि विष कर, दिनकर किम संचार कर । अगनी करे किम चन्द छौ,
प्रवन्ध-
चामे छह मीति नागरि, द्वारमेह अस वीलुमेह, देव
बेटी पनि भोजन बाजरी । दिवाकर महिल
TH
आमची बम पाडुविय, तृय व्थो उचो हो । Pita raftaar खरी, पहिलो दिसावर अन् तो बेटीयम पर कम से कम दो सो कमय मोरे धान्यो । ए,
,
18