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________________ AGORE तत्त्व-सपातिक बतत्व-प्रकाशक वापिक मूल्य ५) AmmmmHERI इस किरण का मूल्य ) नीतिविरोषध्यसीलोकव्यवहारवर्तकसम्यक् । परमागमस्यबीज भुवनेकगुरुर्जयत्यनेकान्त। वर्ष ११ किरण सम्पादक-जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर' ) वीरसेवामन्दिर, अहिंसामन्दिर बिल्डिग १,दरियागंज, देहली र्गिशीर्ष शुक्ल, वीर नि० सं० २५७६, वि० सं० २००६ नवम्बर ११५२ श्रीवर्द्धमान-स्तवनम् (अज्ञातकर्तृक) सजल-जलधि-सेतु-दु:खविध्वंसहेतु-निहतमकरकेतु-रितानिष्टहेतुः । क्वणितसमरहेतु -नहनिःशेषधातु -जयति जगति चन्द्रो वईमानो जिनेन्द्रः ॥१॥ समयसदनकर्ताऽसारसंसारहर्ता, सकल-भुवनभर्ता भूरिकल्याण-धर्ता । परमसुखसमर्ता सर्वसन्देहहर्ता, जयति जगति - चन्द्रो वर्द्धमानो जिनेन्द्रः ॥२॥ कुगतिपथविनेता मोक्षमार्गस्थ नेता, प्रकृति-गहन-हन्ता तस्वसंघातवेत्ता।। गगनगमनगन्ता मुक्तिरामाभिकान्तो, जयति जगति चन्द्रो वर्षमानो जिनेन्द्रः॥३॥ सजलजसदनादो निर्जितायोषवादो, यतिवरनुतपादो वस्तुतत्वज्ञगादः। जपति भविकवृन्दो नष्टकोपाग्निकन्दो, जयति जगति चन्द्रो बईमानो जिनेन्द्रः॥४॥ प्रबलबलविशालो मुक्तिकान्तारसालो, विमनगुथसरानो नित्यकलोलमालः। विगतशरणसालो धारितस्वच्छभालो, जयति जगति चन्द्रो बर्दमानो जिनेन्द्रः॥॥ मदनमदविदारी चारुचारित्रधारी, नरकगतिनिवारी स्वर्गमोजावतारी । विदितमुवनसारी केवलज्ञानधारी, जयति जगति चन्द्रो बईमानो जिनेन्द्रः ॥ विषय-विष-विनाशो भूरिभाषानिवासो, गतभव-भयपाशो कान्तिवल्लीविकाशः करणसुखनिवासो वर्णसम्यूरिताशो, जयति जगति चन्द्रो वर्षमानो जिनेन्द्रः॥॥ वचनरचनधीर पाप-पूखी समीरः कनकनिकरगौरः रकमरियरः। कलुषदहननीरः पातिताउनावीरी, जयति जगति चन्द्रो बईमानो जिनेन्द्र
SR No.538011
Book TitleAnekant 1952 Book 11 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1952
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size29 MB
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