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________________ वीर सेवामन्दिरके चौदह रत्न (१) पुरातन जैन वाय- उची उद्ध प्राकृतक प्राचीन ६४ मूल ग्रन्थोंकी पद्यानुक्रमणी, जिसके साथ ४८ टीकादिग्रन्थों में दूसरे पथोकी भी अनुक्रमणी लगी हुई है । सब मिलाकर २२३१३ पद्य-वाक्योकी सूची | संयोजक और सम्पादक मुख्तार श्रीजुगल किशोरजी गवेषणा पूर्ण महस्वकी १०० पृष्ठको प्रस्तावनामे अलंकृत, डा० कालीदास नाग एम. ए., डी. लिट् के प्राक्कथन (Foreword ) और डा० ए. एन. उपाध्याय एम. ए., डी. लिट् की भूमिका (Introduction) से विभूषित है, शोधखोजके विद्वानोंके लिये अती उपयोगी, बड़ा साइज, मजिदद। (२ अप्त परीक्षा-श्रीविद्यानन्दाचार्यकी स्वोपज्ञसटीक अपूर्णकृति प्राप्तोंकी यरीक्षा द्वारा ईश्वर-विषयके सुन्दर सरस और सजीव पिवेचनको लिए हुए. न्यायाचार्य प० दरबारीलालजी के हिन्दी अनुवाद तथा प्रस्तावनादिसं युक्त मजिद । (३) न्यायदीपिका - न्याय-विद्याकी सुन्दर पोथी, न्यायाचार्य पं० दरबारीलालजीक संस्कृत टिप्पण, हिन्दी अनुवाद, विस्तृत प्रस्तावना और अनेक उपयोगी परिशिष्टों अलंकृत, सजिल्द | (४) स्वयम्भूतोत्र - समन्तभद्र भारतीका पूर्व ग्रन्थ, मुख्तार श्री जुगलकिशोरजी के विशिष्ट हिन्दी अनुवाद छन्दचय, समन्तभद्र-परस्य और भक्तियोग, ज्ञानयोग तथा कर्मयोगका विश्लेषण करती हुई महत्वकी गवेषणापूर्ण प्रस्तावना सुशोभित । (५) स्तुतिविद्या - स्वामी समन्तभद्रको अनोखी कृति, पापों के जानने की कला, सटीक, सानुवाद और श्रीजुगलकिशोर मुख्तारका महत्वकी प्रस्तावनाएं अलंकृत सुन्दर जिद सहित । (६) श्रयात्मक मलमानण्ड - पंचाध्यायीकार कवि राजमल्लको रन्दर श्राध्यात्मिक रचना, हिन्दी अनुवाद- महित चार मुख्मार श्रीजुगल किशोरी कीजपूर्ण विस्तृत प्रस्तावनाएं भूषित । ५॥ ) (७) युक्त्यनुशासन-तत्वज्ञान परिपूर्ण समन्तभद्रकी असा वा कृति, जिसका अभी तक हिन्दी अनुवाद नहीं हुआ था। मुख्ता बांकेबिनुवाद और प्रस्तावनादिमं अलंकृत, सजिद । (1) m) (घ) श्रीरायासी -- श्राचार्य विद्यानन्दचित, महत्वको स्तुति, हिन्दी अनुवादादि सहित | (1) शासनचतुस्त्रिका - ( तीर्थ-परिचय ) - मुनि मदनकांतिको १३ वीं शताब्दीको सुन्दर रचना, हिन्दी अनुवादित महित | ... (२० सत्माधू-स्मरण मंगलपाठ - श्रीवीर वद्धमान और उनके बाद के २१ महान् चाचार्योंक १३७ पुण्य स्मरणोंका महत्वपूर्ण संग्रह, मुख्तारश्रीक हिन्दी अनुवादादि सहित । (११) विवाहसमुद्देश्य- मुख्तारश्रीका लिखा हुआ विवाहका सप्रमाण मार्मिक और सास्विक विवेचन १०) अनेकान्त-रस लहरी - श्रनकान्त जैसे गृह गम्भीर विषयका प्रतीच सरलता से समझने-समझाने की कुंजी मुख्तार श्रीजुगलकिशोर लिखित | ... www ... ui) ... 1) (१३) अतित्यभावन - श्रीपद्मनन्दी श्राचार्यकी महत्यमा रचना, मुक्तारश्रीके हिन्दी पद्यानुवाद और भावार्थ साइत । り (१०) तन्त्रार्थसूत्र - ( प्रभाचन्द्रीय ) - मुख्तारी के हिन्दी अनुवाद तथा व्याख्यासे युक्त नोट- ये सब ग्रन्थ एकसाथ लेनेवालों की ३७॥) की जगह ३० ) में मिलेंगे । 1) (1) 1) व्यवस्थापक 'वीर सेवामन्दिर - ग्रन्थमाला' अहिसा मन्दिर बिल्डिंग १, दरियागंज, देहली
SR No.538011
Book TitleAnekant 1952 Book 11 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1952
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size29 MB
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