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विषय-सूची
अनेकान्तको प्राप्त सहायता १. चतुर्विशतिजिनस्तोत्र--परमानन्द जैन २३५ २. समन्तभद्र वचनामृत--युगवीर
गत दूसरी किरण में प्रकाशित सहायताके बाद जो ३. गरीबका धर्म--बा० अनन्तप्रसादजी
२३९
सहायता प्राप्त हुई है वह क्रमश निम्न प्रकार है और उसके ४. अहिंसा (कविता)--पं० विजयकुमारजी २४२
लिये दातार महानुभाव धन्यवादके पात्र है:५. अनेकान्तवाद, सापेक्षवाद और ऊर्जगुगामिकी --बा० दुलीचन्द जैन MSc. २४३
२५) ला० मुन्शीलालजी कागजी चावडी बाजार, देहली ६. कविवर प० दौलतरामजी--परमानन्द जैन २५२
ने अपने माहित ५ ग्राहको को एक वर्ष तक अनेकान्त ७. जैन साधुजनोंके निष्क्रिय एकाकी साधनाकी
फ्री भिजवाने के लिये। छेडछाड-बा० दौलतरामजी 'मित्र' २५७ ८. महागज खाग्वेल एक महान निर्माता
) पं० नाथरामजी प्रेमी मालिक हिन्दी प्रथरत्नाकर -बा० छोटेलाल जैन २५९ कार्यालय, होगबाग पो० गिरगाव, बम्बई। ९. आकस्मिक दुर्घटना-परमानन्द जैन २६२ १० आमेर भण्डार का प्रशस्तिसग्रह
५) चि० सुरेशचन्द्रजी व स्नेहलता के विवाहोपलक्षमें
-परमानन्द जैन २६३ प्राप्त मैनपुरीमे ११. अनेकान्तके सर्वोदयतीर्थाङ्क पर लोकमत २६७ १२. सन्त श्री वर्णी गणेशप्रसादजीका पत्र २६८ ५५)
अनेकान्तकी सहायताके सात मार्ग (१) अनेकान्तके 'संरक्षक' तथा 'सहायक' बनना और बनाना। (२) स्वयं अनेकान्नके ग्राहक बनना तथा दूसरोंको बनाना । (३) विवाह-शादी आदि दानके अवसरोपर अनेकान्तको अच्छी सहायता भेजना
तथा भिजवाना । (४) अपनी ओरसे दूसरोंको अनेकान्त भेंट-म्वरूप अथवा फ्री भिजवाना; जैसे विद्या
मंस्थाओं, लायब्रेरियों, सभा-मोसाइटियों और जैन-अजैन विद्वानोंको। (५) विद्यार्थियों आदिको अनेकान्त अर्ध मूल्यमें देनेके लिये २५),५०)आदिकी सहायता
भेजना । २५) की सहायतामें १०को अनेकान्त अर्धमूल्यमें भेजा जा सकेगा। (६) अनेकान्तके ग्राहकोंको अच्छे ग्रन्थ उपहारमें देना तथा दिलाना । (७) लोकहितकी साधनामें सहायक अच्छे सुन्दर लेख लिवकर भेजना तथा चित्रादिसामग्रीको प्रकाशनार्थ जटाना ।
महायतादि भेजने तथा पत्रव्यवहारका पता:नोट-दस ग्राहक बनानेवाले सहायकोको
मैनेजर 'अनेकान्त' 'अनेकान्त' एक वर्ष नक भेंटस्वरूप भेजा जायगा।
वीरसेवामंदिर, सरसावा जि. सहारनपूर ।