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श्री वीर-जिन का
Iसवीदय तीर्थ
सर्वाऽन्तवत्तद्गुण-मुख्य-कल्प सर्वाऽन्त-शून्यं च मियोऽनपेक्षम् सर्वा पदामन्तकरं निरन्तं सर्वोदयं तीर्थमिदं तवैव ॥
श्रीवार जिनालय
ARIN
Sunar
RUMAI
नित्य
पुण्य
स्वभाव बल्य/सामान्य असन् अनेक अनित्य अजीव मोक्ष | पाप पिरलोका विभाबा पोय/ विगोष R aareyumanAMANATAakashanMAMRAARAAna
HTRARANORMAT.. हित सिमासूम्यहानिया सापेक्ष देवनय युक्ति अहिाआत्मा अहित अहिंसा मिथ्याविण निरपेक्ष पुरुषाधाममाण अगम अपुम्स/परमात्मा
पा मैत्री प्रमोद का
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NYANAME/Lite/EE/28
ता निर्भयता निमूहला लोकस
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तीर्थ सर्व-पदार्थ-तत्त्व-विषय-स्याद्वाद-पुण्योदधे
व्यानामकलङ्क-भाव-कृतये प्रामावि काले कले -येनाचार्य-समन्तभद्र-यतिना तस्मै नमःसन्ततं =
कृत्वा तत्स्वधिनायकं जिन्नपतिवीरं प्रणोमि स्फुटम