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कलकत्ताके जैनोपवनमें वृक्षारोपण-समारोह गत रविवार ता0 ६ जुलाई सन् १६५० ई० को गुत्थियोंपर अच्छा प्रकाश डाला गया है। भोग - साय ३ बजेसे श्री पाश्वनाथदिगम्बर जैनन्दिर- भूमिमें क्या और कम भूमि में क्या, सदा ही वृक्षोंउपवनमें अखिल भारतवर्षीय वृक्षारोपण-योजना- का विशेष उपयोग मनुष्यजातिन किया है और आज के अनुसार बड़े समारोह के साथ कलकत्ताकी समस्त तो भारतवर्षमे वृक्षारोपण की विशेष आवश्यकता जैन समाजकी ओरसे किया गया। समाराहक है; क्योंकि दशके जल वायु,वर्षा नदियोंकी बाढ तथा सभापति कलकत्ता विश्वविद्यलयाके सुविख्यात उपजाऊ मिट्टीके कट कर नदियों में बह जानेपर प्रोफेसर डा० कालीदास नाग थे और वृक्षारोपण वृक्षोंका विशेष प्रभाव होता है। दण्डियन बोटेनिकल गार्डेन के अध्यक्ष डा०के० पी० श्री टी. एन रामचन्द्रन, सुपरिटेंडेन्ट. Archeoविश्वासकी अध्यक्षतामें हुआ।
logical Deptt. ने अपने भाषणमें दाक्षायक्षोंके सर्व प्रथम डा. विश्वासने ३ बजे से४ बजे तक महत्वपर बहुत प्रकाश डाला। उनके लेखको दूरवीक्षण यंत्रद्वारा बिना छने पानीमे कितनी शीघ्र ही प्रकाशित करने का आयोजन होरहा है। प्रकारके जोव होते हैं यह उपस्थित जैन तथा प्रजन अन्त में डा. कालीदास नागने अपने संक्षिप्त महिलाओं को दिखलाया,जिसका बहुत अच्छा प्रभाव भाषणमें मन्दिर-उपवनमें वृक्षारोपणका महत्व बताते पड़ा। महिलाओंका संख्या अधिक होनेके कारण हये डा० के० पी० विश्वाससे प्रार्थनकी कि वह पुरुषों को दिखलाने का अवसर नहीं मिल सका। दीक्षा-वृक्ष लगाने की कार्यवाही शुरू करें ।
बजेसे वृक्षारोपणकी कार्यवाही शुरू हुई। श्री रत्नलालजी भांभरी ने प्रतिष्ठाचार्य का कार्य कन्याओंद्वारा मङ्गलाचरण के बाद सभापति-वरण शास्त्रोक्तगतिसे मन्त्रोच्चारण-पवेक भूमिशोधन तथा तथा आसनग्रहण हुआ।
तीर्थकरपाठ कराया और निम्न वृक्ष लगाये गयेसमारोहके संयोजक तथा स्थानीय दि. जैन
दीक्षावृत तीर्थ करका नाम आरोपण कत्ता मन्दिरके ट्रस्टो श्रा बा. छाटेलाल जो जैन ने उद्देश
डा००पी०विश्वास वतलात हय पहले टस्टीयांकी ओरमे इस बातकी -
की वकुल(मौलश्रा) नमिनाथ डा० कालीदास नाग क्षमा माँगी कि बिना छने जलम जीव दिखलानेका यी
श्रोटी०एनरामचंद्रन आयोजन पर्दपर नहीं किया जा सका जिसस
बेल (बिल्व) शीतलनाथ श्रीमती विश्वास बहुत स उपस्थित सज्जन देखनेसे वचति रह गये ।
संभवनाथ, सन्होंने यह भी बतलाया कि मन्दिर- उपवनमें
अभिनन्दन, महावीर, जी. सा. शिवाराम सर्व साधारण के लाभके लिये दृष्टोगण दूरवोक्षण नाग
चन्द्रप्रभ) श्री दयाचन्द्रपारख यंत्रका प्रबंध कर रहे हैं।
पुष्पदन्त ) (ट्रस्टी श्वेव्जैनमंदिर) वृक्षारोपणका महत्व बतलाते हये आपने बत- बट
आदिनाथ वलदेवदास सरावगी लाया कि आज जो वृक्ष लगाये जावेंगे वे अपने
(ट्रस्टी दि०जैन मदिर) पूज्य तीर्थकरोंक दीक्षा-वृक्ष है।
पीपल, आम्र, जामुन, आम्लक, नामके ४ दीक्षा डा. के० पी० विश्वासने अपने भाषण में वृक्ष उपवनमें पहलेसे ही मौजूद है। बतलाया कि श्री छोटेलालजीने एक लेख मुझे
सभापति आदिको धन्यवाद के पश्चात् समारोह वनस्पतिक विषयमे अनाचायों की धारणाके ऊपर समाप्त हुआ। प्रतिष्ठित महानुमावोंको अं छोटेलाल लिख कर दिया था, जिसे पढ़ कर मैं स्तंभित रह जी जैन तथा बाबू नन्दलाजजी की ओरसे चाय गया। जैन धर्ममें वनस्पतिके विषय में बहत सी पार्टी दी गई।
-तुलसीराम जैन
साज