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आर्योंसे पहलेकी संस्कृति
( लेखक-गुलाबचन्द चौधरी एम०ए०, व्याकरणाचार्य) जबसे सिन्धु घाटोकी खुदाई हुई है और शाखाओंकी पहचान की गई है । इस अध्ययनसे पुरातत्व विभागले एक विशिष्ट मभ्यताकी सामग्री यह निष्कर्ष निकला है कि भाज ही नहीं बल्कि मपस्थित की है, तबसे हम भार्सेक बागमनसे सदर अतीत में भारतकी जातियोंका निर्माण अनेपूर्वकी भारतीय स्थिति जाननकी परम जिज्ञासा क मानव शाखाओंके मंमिश्रणसे हुआ है। यह उत्पन्न हुई है और लगभग चार पीढ़ियोंसे विद्वान संमिश्रण बेदकालसे ही नहीं बल्कि सिन्धु घाटीउस सदर अतीतको जान्नेके लिए प्रयत्नशील हैं। की सभ्यतासे भी प्राचीन कालसे है। २ भाषाविभारतीय इतिहामका वैज्ञानिक अध्ययन जब ज्ञानने भाषाके अंगोंके विकासके अध्ययनके शिशु-प्रवस्थामें था, तभी विद्वानोंने इमके साथ विविध संस्कृतियोंके प्रतिनिधि स्वरूप शब्दों. विवेचनका कुछ गलत तरीका अपना लिया था। को खोज निकाला है और इन संस्कृतियों के आदान व धरातल पर डाविनके प्राणि-विकासवादके अनु- प्रदान तथा संमिश्रण के इतिहास जाननेकी भूमिका सार बन्दरम मनुष्य की उत्पत्ति बता, भारतवर्षमे उपस्थित की है । भाषाविज्ञानसे तत्कालीन समाज. आदि सभ्यताका दर्शन वेदकालसे मानते थे। यह की विचारधारा तथा मानसिक स्थितिका भी पता सच था कि तब उनके पास इतिहास जाननेक चला है। ३ पुरातत्व सामग्रो इतिहासका एक प्रबल साधन ही कम थे तथा विश्वके सर्व प्रथम साहित्य- आधार है, जहाँ अन्य ऐतिहासिक साधन मौन रह के रूपमे वेद ही उनके सामने था। आज भारत- जाते हैं वहाँ इस पुगतत्वकी गति है । इस पुरातत्ववपके वेदकालीन और उसके पश्चातयुगक सां- की प्रेरणासे हम भारतीय संस्कृतिके मातर स्कृतिक इतिहासको जानने के लिए :चर लिखित आधारोंको खोजने में समर्थ हए हैं। साहित्य ही नहीं बल्कि विशाल पुरातत्त्व सामग्री
वेद और आर्य उपलब्ध है, तथा आर्योसे आने के पहले प्राग्वैदिक भारतीय इतिहामको जब हम विश्व इतिहाससंस्कृतिके ज्ञानके लिये भी विद्वानोंने साधन जुटा का एक भाग मान कर अध्ययन करते है तथा लिये हैं।
विशेषकर निकटपूर्व ( Near Fast) से सम्बतीन साधन
न्धित कर वेदका अध्ययन करते है तो मानव आज विद्वान लोग जिन साधनों का प्राश्रय ले इतिहासकी अनेक समस्या सहजमें सलम उस सुदूर अतीतका चित्र सपस्थित करते है वे जाती है। वेदों में वर्णित घटनामोंका मतलब मुख्यतः तोन हैं-१ मानववश विज्ञान (Anthro. निकट पूर्व ( Near Fast ) की घटनाओंसे मालूम pology) २ भाषा विज्ञान (Philology) तथा ६ होता है । इन घटनाओंमे विद्वानोंने मिद्ध किया कि पुरातत्व (Archeology) । १ मानववंश-विज्ञान- आये लोग भारतमें बाहरसे आए हैं उन्हें बाहरसे द्वारा मनुष्यके शरीरका निर्माण तथा विशेषकर पाने में दो प्रकारके शत्रोंमे सामना करना पड़ा, चेहरेके निर्माणका अध्ययन कर विविध मानव. एक तो प्रात्य कहलाते थे जो कि सभ्य जातिके थे