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________________ वोर सेवामन्दिर को प्राप्त सहायता अनेकान्तकी गत किरण न०३ में प्रकाशित सहायताके बाद वीरसेवामन्दिरको जो सहायता प्राप्त हुई है वह क्रमशः निम्न प्रकार है और उनके लिये वातार महानुभाव धन्यबादके पात्र हैं। २०) जैन समाज कोडरमा (हजारीबाग) नंदीश्वर विधानके उपखर में मार्फत ५० गोविंदराय जैन ८) दि. जैन समाज बाराबंकी, मार्फत ना० कन्हैयालाल जैन। १२॥) जैन युवक मंडली ललितपुर ऋषभजयन्तीके उपलक्ष मार्फत वैद्य इन्द्रजीत आयुर्षेवाचार्य । ४०111) अधिष्ठावा वीरसेवामन्दिर स्वाध्यायप्रेमियोंके लिये उत्तम अवसर भारतको राजधानी देहलामें वीरसेवामंदिरके तत्त्वावधानमें समाजके जिनवाणीमत दानी महानुभावोंको आर्थिक सहायतासे वोरसे सस्ती जैन ग्रन्थमालाकी स्थापना हुई है। प्रन्थमालाका प्रत्येक प्रन्य गृहस्थोपयोगी है-स्त्री पुरुष और बच्चोंके लिए उसका लेना बड़ाही लाभदायक और अत्यन्त आवश्यक है। इसलिये प्रत्येक सद्गृहस्थका कर्तव्य है कि वह इन प्रन्थरत्नोंको खरीदकर जिनवाणोके स्वाध्यायसे आत्म-कल्याण करें। इस ग्रन्थमालासे प्रकाशित प्रथोंको प्रायः लागतसे भी कम मुल्यमें दिये जानेकी योजनाकी गई है । अभी नीचे लिखे ग्रन्थ छप रहे हैं। जिन ८ ग्रन्थोंका लागत मूल्य १५) है, वे पूरा सेट लेनेवाले सज्जनोंको लागतसे भी कम मूल्य १२) में और पद्मपुराणको छोड़कर शेष ७ प्रन्यका सेट सिफ .) में देने का निश्चय किया है। जिन्हें इन प्रथरत्नोंकी आवश्यकता हो वे ग्रहकोंमें अपना नाम लिखवा कर और अपना मल्य भेजकर 'वीरसेवामंदिर आफिस ७३३ दरियागंज देहली से रसीद ले लें और छपे हुए छह ग्रंथ भी ले ले शेष प्रन्थ जैसे-जैसे तैयार होते जायेंगे उसी कमसे वे उनके पास पहुंचते रहेंगे। १ रत्नकरण्डश्रावकाचार-सजिल्द लगभग ८००पृष्ठ (मूल० समन्तभद्राचार्य, टी० ५० सदासुखदासजी ३) २ मोक्षमागप्रकाशझ-सजिल्द लगभग ५०० पृष्ठ (पं. टोडरमलजी) ३ जैनमहिलाशिक्षासंग्रह-पृष्ठ २४० ४ सुखकी एक झलक-पृष्ठ १६० (पूज्य वर्णीजीके प्रवचनोंका सुन्दर संकलन) ५ श्रावकधर्म संग्रह-पृष्ठ २४०(पं०दरयावसिंह सोधिया भवकोपयोगी पुस्तक) ६ मरजैनधर्म-पृष्ठ ११२ (बालकोपयोगी पुस्तक) ७ छहढाला-पृष्ठ १०० (पं० दौलतराम जी व पं. बुधजनजी कृत) ८ पद्मपुराण-(सजिल्द बड़ा साइज पृष्ठ ८००(मूल. रविषेणाचार्य, टी० ५० दौलतरामजी) मन्त्री-वीरसेवामंदिर सस्ती ग्रन्थमाला नं. ३३ दरियागंज, देहली।
SR No.538010
Book TitleAnekant 1949 Book 10 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1949
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size30 MB
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