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________________ किरण भद्रबाहु-निमित्तशास्त्र ३३७ अर्थ-विरागी अनुलोम गतिवाले तथा श्वेत और रक्तवर्ण वाले बादल स्थिर होतो वह स्थाईके लिये जानना अर्थात् चढ़कर आनेवाला यायी स्थाई रहने वालोंका आश्रय लेता है ॥२८॥ क्षिप्रगानि विलोमानि नीलपीतानि यानि च । चलानीति विजानीयाच्चलानां वा समागमे२६ अर्थ-शीघ्रगामी प्रतिलोमगतिसे चलनेवाले, पीत और नील वणके बादल चल जानना चाहिए और वे यायोके लिय ममागमकारक है ॥२६॥ स्थावराणां जयं विन्द्यात्स्थावराणां द्य तिर्यदा। यायिनां हि जयं विन्द्याच्चलामाणां धु तावपि ३० अर्थ-जो बादल स्थावरों क अनुकूल द्य ति आदि चिन्हवाले हों तो उस परसं स्थायियोंकी जय जानना और यायीक अनुकूल द्य ति आदि हों तो यायोकी विजय जानना । अर्थात् बादलों परसे ऊपर जा फल स्थाई और यायोके लिये बतलाया गया है उसपरसे जैसा कुछ अभाशुभ दीखे बताना चाहिये या जानना चाहिये ॥३०॥ राज्ञा तत्प्रतिरूपस्तु ज्ञ यान्यभ्राणि सर्वशः। तत्सर्व सफलं विन्द्याच्छुभं वा यदि वाऽशुभम् ॥३१॥ अर्थ-यांद राजाको बादल अपन प्रतिरूप (सदृश) जान पड़ें तो उनसे अच्छा या बुरा दोनों तरहका फल जानना चाहिये ॥३२॥ इति नैनन्थे भद्रबाहुके निमित्ते अनलक्षणं नाम षष्टोऽध्यायः समाप्तः । सातवां अध्याय अथाऽतः-सम्प्रवक्ष्यामि संध्यानां लक्षणं नतः । प्रशम्नमप्रशस्तं च यथा तत्वं निबांधत ॥१॥ अर्थ-अब संध्याओंके लक्षण कहेजात है वे दो तरह के हैं प्रशस्त और अप्रशस्त । उद्गच्छमाने चादित्ये यदा संध्या विराजते । नागाणां जयं विद्यादस्त गच्छति यायिनाम् ॥२ अथ-सूर्योदयक समयकी संध्या नागरोंको और सूर्यास्तकं समयकी संध्या यायी (चढ़कर आने वालों) के लिए जय देने वाली जानना ना उद्गच्छमाने चादित्ये शुक्ला संध्या यदा भवेत् । उत्तरण गता सौम्या प्रामणानां जयं विदुः३ अथ-सूर्योदयके समय यदि श्वेतरंगकी संध्या होवे और वह उत्तर दिशामे हो तथा सौम्य हो तो ब्राह्मणों के लिए जय-दायक है ॥शा उद्गच्छमाने चादित्ये रक्ता संध्या यदा भवेत् । पर्वेण च गता सोम्या क्षत्रियाणां जयावहा ४ अर्थ-सर्योदयके समय लाल वर्णकी संध्या होवे श्रार वह पर्व दिशामें आश्रय करे तथा सौम्य हो तो क्षत्रियोंको जय देने वाली जानना ।।४।। उद्ग छमान चादित्ये पीता संध्या यदा भवेत् । दक्षिणेन गता सौम्या पैश्यानां सा जयावहा
SR No.538010
Book TitleAnekant 1949 Book 10 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1949
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size30 MB
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