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अन्यत्र अमाप्त अजितमझ करित
(लेखक-अगरचन्द नाहटा)
जैनधर्मके उद्धारक एवं प्रचारक तीर्थकर माने पौराणिक चरित्र-ग्रन्थमें भ. ऋषभदेव, शांतिनाथ जाते हैं उनकी संख्या भरत एवं ऐरावतक्षेत्रकी अपेक्षा कुथुनाथ, एवं अरनाथका चरित्र उपलब्ध होता है। २४-२४ मानी जाती है। जिस क्षेत्रमे हम निवास भरतादि चक्रवर्तियोंका चरित्र भी इसमें उल्लेखकरते हैं वह दक्षिण भरतक्षेत्र कहलाता है और नीयरूपसे मिलता है। ततपश्चात शीलांकाचार्य अभी अवसर्पिणी काल चलरहा है उनमें ऋषभादि रचित चउपन्न महापुरुष-चरित्रमें ५४ महापुरुषोंका चौवीस तीर्थकर हो चुके हैं। इनके जीवन-चरित्र चरित्र है। पर किसीभी तीर्थङ्करका स्वतन्त्र चरितसम्बन्धी कतिपय घटनाओं का उल्लेख प्राचीन ग्रन्थ १२ वीं शतीके पहलेका उपलब्ध नहीं है। * जैनागमोंमें पाया जाता है जिनमे से आचारांग
उपलब्ध साहित्यमें खरतरगच्छीय गुणचन्द्रगणि में भ० महावीरके साधक जीवन, समवायांगमें
(देवभद्राचार्य) एवं नेमिचन्द्रमरिके चरितकाव्य सब २४ तीर्थङ्करोंकी कतिपय घटनाओं, ज्ञातासत्र में
से प्राचीन हैं । सं. ११३६ में इन्होंने वीर चरित की मल्लिनाथका जीवन-चरित जम्बूद्वीप पन्नत्तिमें
प्राकृत पद्यवद्ध रचना की। ऋषभदेव, उत्तरा ध्ययनमें नेमिनाथ सम्बन्धी उल्लेख महत्वपूर्ण हैं। मूल श्रागमोंके पश्चात् आवश्यक
सं. ११३६ से श्वेताम्बर सम्प्रदायमें तीर्थङ्करोंके नियुक्तिमें २४ तीर्थङ्करोंका चरित्र कुछ विस्तारसे स्वतन्त्र जीवनचरितोंका निमोण प्रारंभ होता है। संग्रहीत पाया जाता है परवर्ती चणियों एवं वृत्तियों इसी शताब्दी व परवर्ती शतीमें बहुतसे ऐसे ऐसेही में वह क्रमशः विस्तृत होता गया है स्वतन्त्र ग्रन्थों ग्रन्थ रचे गये हैं। पाठकों को इसका आभास में ४-५ वीं शतीके वसुदेव हिंडी नामक सर्वप्रथम निम्नोक्त तालिकासे भली भांति मिलजायगा। स१०६० सूराचार्य
नाभेय नेमि चरित द्विसंधान स११३६ महावीर चरित
गुणचंद्रगणि (देवभद्रसरि) स११३८ पाटण
नेमिचन्द्रसूरि सं.११६०
आदिनाथचरित (म० ११-१२) वर्षमान सूरि स.१९६०
शांतिनाथ चरित प्रा०प्र० १२१०० देवचन्द्रसूरि सं.११६८ पार्श्वनाथ चरित प्रा० (८०००)
देवभद्रसरि स.११७५
मल्लिचरित प्रा०प्र०५४४५ वृहटिप्पणिकाके आधारसे जिनरस्नकोष व जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास पृ०२०७ मे सम्बत् ११. लिखा है पर काम्य प्रास्त नहीं है इसके निर्माणका उल्लेख प्रभावकचरित्र में भी है अत: इसकी खोज प्रावश्यक है।
जैनेश्वरम्
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