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________________ २६२ अनेकान्त [वर्ष १० तीसरी पंक्तिमें नगरके नामको डा० फोगल हर- साणा पढ़ते है, परन्तु मेरे विचारसे यह बरसाण है और जो देशके समग्र मागोंमें निवास करती हैं। पल्लीवाल' ., है । लेख उत्कीर्ण करनेवालेने पहला अक्षर केवल . लिखा है । संभवतः उसने भूलसे इसके आगे उन्हीं ८४ जातियों में से एक प्रतिष्ठित जाति है और जो प्रायः अकारकी मात्रा नहीं लगाई। वर्तमान डीग नगरके भरतपुर, मथुरा, आगरा तथा एटा जिलेमें विशेषत: पाई जाती है। खण्डेलवालों, अग्रवालों, गोलापों श्रादिकी आसपास हरसाणा नामका कोई नगर नहीं ज्ञात है तरह इस जातिमें भो जैनधर्म और हिन्दूधर्म दोनों धर्मों के दूसरी ओर बरपाणा (प्रचलित 'बरसाना' ) मथुरा जिलेका प्रसिद्ध नगर है। यह राधाके पिता वृषभानु अनुयायी पाये जाते हैं। कोई आश्चर्य नहीं, 'पालीवाल का गांव कहा जाता है और ब्रज-यात्राके प्रमुख 'पल्लीवाल' का ही पर्यायान्तर हो । इस जातिके पूर्वजोंके स्थानों में है। यहां वर्षमें कई बार बड़े उत्सव भी जैनधर्म सम्बन्धी प्रभावना और उत्कर्षके अनेक प्राचीन - होते हैं। अबसे १८० वर्ष पूर्व ( मूर्ति निर्माणका लेख उपलब्ध हैं । पण्डित दोलतरामजी जैसे अनेक जन साहित्यकार इसी जातिके उज्ज्वल रत्न हैं जिन्होंने जन - समय ) भी यह प्रसिद्ध तीर्थस्थान होनेके कारण नगरके रूपमें (न कि गाँवके रूपमें ) रहा होगा। साहित्यकी सृष्टि और समृद्धि में बड़ा योगदान किया है। इसी लिये लेखमें इसे नगर ही कह गया है । १७७० प्रतीत होता है कि ये समग्र जातियां किसी समय या तो ई० में वर्तमान मथुरा जिलेका अधिकांश भरतपुर जैनधर्मको अनुयायी थी अथवा हिंदूधर्मको मानने वाली थीं । जो हो, किंतु यह तथ्य है कि इन दोनों धर्मोंके अनु राज्यके ही अंतर्गत था। बरसाना भी इसमें सम्मि लित था। बरसानाकी डीग नगरसे सीधी दूरी लगयायी सदा एक-साथ रहे हैं और कितनी हो बातों में परस्पर भग १६ मील है । आदान-प्रदान भी इनमें रहा है। प्राचीन समय में जातिमें जो प्रमख अथवा मुखिया मखिया माने जाते होंगे और इसलिए उनके नामके साथ होता था वह चौधरी कहलाता था। आज भी जातिके चौधरी उपनाम उक्त मूर्ति लेखमें जुड़ा हुआ है। स०सम्पा० मुखियाको अनेक जगह चौधरी कहा जाता है। चौधरी १ देखिए, डा. फोगल कृत 'कैटालॉग ऑफ दि ऑर्को. जोधराज भी अपनी जातिके और गांवके प्रमुख एवं जॉजिकल म्यूजियम, मथुरा प ७३ NAPAN PORAN
SR No.538010
Book TitleAnekant 1949 Book 10 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1949
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size30 MB
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