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अनेकान्त
[वर्ष १०
लिए केवल पुस्तकोंके ज्ञानमे अपनेको ज्ञानी समझ उन्हीं मौलीक्यूलो (molecules) वर्गणाओंमेंसे लेना महज गलती है । पुस्तकोंकी जानकारीका लाभ निकलते हैं जो किसी भी वस्तु के बनानेवाले अभिन्न लेकर स्वयं अपना अध्यवसाय लगाकर जो कुछ अंग या हिस्से हैं। माधारण कम्पन-प्रकम्पन तो हर साक्षात् अनभवमें श्रावे वही असली या सच्चा शुद्ध वस्तु और उसको बनानवाले मौलीक्यलोंमें हरवख्त ज्ञान किसी वस्तु या विषयका कहा जा सकता है। होता रहता है और हर मौलीक्यूलको बनानेवाले यहो बात जीवनमे संबद्ध प्रश्नोंके लिए भी इलेक्ट्रनामसे ह्रास या छूटना और विछुड़ना एवं
दूसरोंसे आते हुए इलेक्ट्रनों द्वारा उनकी वृद्धि या
पूर्तिका सिलसिला बगबर ही लगा रहता है। बिजली बाह्य प्रभाव, प्रकम्पन और परिवर्तन
का उत्पादन तो इन इलेक्टनों पुद्गल परमाणुओंका संसारमें हरएक छोटीसे छोटी या बड़ीस बड़ी बहुत बड़ी तादादमें इकट्ठा एक दिशामें विशेषशक्ति सभी वस्तुओंपर इतनी बाह्य शक्तियाँ (Forces)
क्तिया Yonces) (torce) द्वारा प्रवाहित करनेका ही रूप है। पर काम कर रही है कि उनकी बाह्य स्थिति होन हुए भी साधारणतः दुसरे रूपोंमे इसी तरह की कुछ क्रियाहर एकका एक एक एटम या मूलमंघ तक कंपन प्रक्रिया बराबर हरवस्तमे सर्वदा कमबेश जारी रहती प्रकम्पनसे यक्त ही है। कोई भी वस्तु सर्वथा कपन- है। यही कम्पन और प्रकम्पन हमारे शरीरके अंदर स शून्य नहीं है। छोटी बड़ी शक्तियांकी आपसी तथा बाहर मब तरफ भरी हुई वस्तुओंकी वर्गणाओं क्रिया-प्रक्रिया इस तरह होती रहती है कि कम्पनसे (मौलीक्यलों) में होते रहने के कारण उनमेंसे य शून्य होना सभव ही नही । यही कम्पन-प्रकम्पन सब पुदगल परमाणु (इलेक्टन) निकलते और दसरोंसे कुछ परिबर्तन या जीवन और सृष्टिका मूल कारण आनेवाले पुदगल-परमाणु उनके अन्दर घुसते और है। यदि यह एक दम शान्त होजाय तो सब कुछ मिलते रहते हैं। चूकि सभी वस्तुएं मंयोगके अनुशान्त हो जाय, फिर न परिवतन हो, न जन्म मृत्यु सार परिवर्तन करती हैं और यह परिवर्तन उनकी और न नई मृष्टि इत्यादि । यह कम्पन-प्रकम्पन ही वर्गणाओंकी अन्दररूनी बनावटमें हेर-फेर होनेसे मूलत: पुद्गल परमाणुओंक छूटने और आन या ही होता है और इसीलिए यह परिवर्तन या अदलानिकलने और मिलने का कारण है। जैस दो चम्बकों बदलो अथवा वह सब कुछ जो हम इस संसारमें या के बीचमे एक खिंचाव रहता है और कोई गुप्त ।
अपने अन्दर होते हुए देखते, समझते या अनुभव
करते हैं वह सब होता है या होता रहता है। शक्ति बीचकी जगहमे काम करती रहती है-जबतक
इन पुद्गलपरमाणुओंका आदान-प्रदान और बीचवाला स्थान स्थिर या शान्त रहता है कोई नई वर्गणाओं की बनावटमें हेर-फेर होकर एकसे दूसरा खास बात उत्पन्न नहीं होती-पर जैसे ही उसके
होजानेके कारण ही सारी व्यक्त या अव्यक्त, दृश्य या अंदर किसी तरह प्रकम्पन या हलनचलन (Distu
अदृश्य सांसारिक अवस्थाएं बनतो विशाइती रहती हैं Thance) किसी प्रकारका उत्पन्न होजाय या कर या गतियों का उत्पाद-विमाश लगा रहता है। जैसे दिया जाय तो तुरन्त विद्युत-विजलीका जन्म हो हम भोजन करते हैं और शरीरमें जाकर उसमेंका जाता है । इलेक्ट्न ( Electrons) छूटने लगते है कुछ भाग रह जाता है और फिर वहांसे उस भोजन
और उन्हें रास्ता दे देनेसे एक प्रवाह जारी हो जाता का रूप बदलकर मलखपमें बाहर निकल जाता है है जिसके काम या कारगुजारियाँ (Mauifesta. फिर भी हमारा बाह्यरूप ज्यों का त्यों दीखता है उसी tions) हम बिजलीक रूपमे देखते या पाते तरह जहां हरएक वर्गणामें न जाने कितने मूलसंघ है । ये इलेक्टन कहां में निकलते है ? ये और कितनं परमाणु रहते हैं उनमेसे कुछ दि