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किरण १ ]
साहित्यपरिचय और समालोचन
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पुर, दांता, देवासजुनियर, देवाससीनीयर, घोड़ासर, भारतके शिक्षामंत्रीके कार्यालयसे प्रकाशित एक हिंडौल, हथवा, ईडर, जयपुर, जामनगर, माबुआ, विज्ञप्तिमें सूचित किया गया है कि १८५१ की लन्दन मालावाड़, मोंद, जोधपुर, जूनागड, जम्बूगोड़ा, प्रदर्शनीके शाही कमिश्नरोंद्वारा इसवर्ष भारतीय विश्वकरौली, कटोसन. कवर्धा. क्योंमर. खडौल. खजर- विद्यालयों अथवा जिन संस्थाओं में विज्ञानको शिक्षा गांव खंडेला, खनियाधाना, खिरासरा, कोठी, कोटरा- देनेका पोस्ट ग्रेजुएट विभाग विद्यमान है उमके विसांगानी, कुरुन्दवाड़ सीनियर, किशनगढ़, केकड़ी द्यार्थियोंको विज्ञान-सम्बन्धी अनुसन्धानके लिये एक खेरागढ़, कोल्हापुर, कन्केर कुरवई, लखतर, लाठी, छात्रवृत्ति दी जायगी। यह छात्रवृत्ति ३५० पौड वालोम्बड़ी, लोधीका, लुनावाडा, महीयर, मलिया, मां- षिक होगी जो दो साल के लिये दी जायेगी। यह छात्रडवा, मांगरौल, मिरजजनियर, मौहनपुर, मली. वृत्ति उस विद्यार्थीको दी जायेगी, जिसने विश्व विद्यासुस्थान, मोहम्दी, मनिपुर, मानसा, मकराई, नागौद, लयका अपना पूरा कोर्स समाप्त कर लिया हो और नलागढ़, नन्दगांवराज; नयागढ़, नरसिंहगढ़, नान- जिसमें मौलिक वैज्ञानिक अनुसन्धानकी प्रतिभा पाई पाड़ा, नाभा, पन्ना, जुनिया, पटना पाटौदी पंचकोट, जाती हो । निर्वाचित विद्यार्थीको कमिश्नग द्वारा स्वीपादड़ी, परतापगढ़, पेथापुर, फल्टन, पोरबन्दर, कृत किसी भी विदेशी संस्थामे रहकर तात्त्विक अथवा रायसांकली, राजकोट, राजपीपला, रानासन, रतला- प्रयुक्त विज्ञानको किसी शाखामें अनुसन्धान करना म, सौलाना, शाहपुरा, सकती, समथर, सोट मायला, होगा। सीकर, सिरोही, सीतामऊ, सदासना, थाना देवली, इस छात्रवृत्तिके लिये भारतीय डोमीनियम अथवा टौंक, बड़ियावला, बलासना, वरसोड़ा, घसादर, भारतीय रियामतोंके सभी ऐसे प्रजाजन आवेदनवीरपुर, विठ्ठलगढ़, बढ़वान, वाव, वाई पत्र भेज सकते हैं। जिनकी श्रायु १ मई १६४८ को २६ उनियारा और कुरुम्दवाड़ जूनियर।
वर्षसे कम बैठती हो। भारतमें रहने वाले अथवा ___ यदि इन स्थानोंके अतिरिक्त भी और कहीं छुट्टी विदेशमें रहनेवाले विद्यार्थियोंको अपने आवेदनपत्र स्वीकृत हुई हो तो पाठक सूचित करें। अब महावीर सम्बद्ध विश्वविद्यालय अथवा संस्थाके अधिकारियों जयन्तीकी छुट्रीके समारोहको सार्वजनिक रूपसे मनाने की सिफारिश सहित सम्बद्ध विश्वविद्यालय अथवा के लिये विशिष्ट आयोजन करना चाहिये और जैनि- संस्थाके जरिये प्रान्तीय सरकारों और स्थानीय अधियोंको उस दिन अपना व्यापार तथा कारोबार बन्द कारियोंके जरिये अधिकसे अधिक १० मार्च १६४५ रखकर पूरी लगनके साथ महावीर जीवनके साथ तक भारत सरकारके शिक्षा-विभागके सेक्रेटरीके पास अपना सम्पर्क स्थापित करना चाहिये।।
भज देना चाहिये। ६ वैज्ञानिक अनुसन्धान के लिये छात्र
योग्य जैन छात्रों को इस दिशामें अवश्य बदना
चाहिये। वृतियां
साहित्य परिचय और समालोचन
१-अनुभव प्रकाश- लेग्वक, स्व० ५० दीप- (मारवाड़) मूल्य, अनुभवन । चन्द शाह कासलीवाल। प्रकाशक, श्री मगनमल यह हिन्दीका एक महत्त्वपूर्ण संक्षिप्त थाध्यात्मिक हीरालाल पाटनी दि० जैन पारमार्थिक ट्रस्ट, मागेठ गाग्रन्थ है । स्वाध्याय-प्रेमियोंके लिये बहत