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________________ पृष्ठ संग ४. सन्मतिसिद्धसेनाचार्य मामा द्वात्रिशिका ४१० विषय पृष्ठ विषय १. सिद्धसेन-स्मरण ... ४०६ ७. सुधार-सूचना-[प्रकाशक ... ४७५ २. शासन-चतुर्विंशिका (मुनिमदनकीर्तिकृत)- ८. मानवजातिके पतनका मूलकारण [पं० दरबारीलाल कोठिया . ४१० संस्कृतिका मिथ्यादर्शन३. सिद्धसेन-स्वयंभूस्तुति (प्रथमा द्वात्रिशिका) [पं० महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य ४७७ [सिद्धसेनाचार्य प्रणीत ... ४१५ ६. चम्पानगर-श्यामलकिशोर झा ४८१ ४. सन्मतिसूत्र और सिद्धसेन १०. सम्पादकीय (१)-राष्ट्र-भाषापर जैन[श्रीजुगलकिशोर मुख्तार .. ४१७ दृष्टिकोण [मुनि कान्तिसागर .. ४८३ ५. धर्म और वर्तमान परिस्थितियाँ सम्पादकीय (२) अनेकान्तकी वर्पसमाप्ति पिं० नेमिचन्द्र शास्त्री ४६७ और अगला वर्प-[जुगलकिशोर मुख्तार ४८७ ६. ब्रह्माश्रुतसागरका समय और साहित्य ११. प्रकाशकीय वक्तव्य[पं० परमानन्द जैन शास्त्री ४७४ [अयोध्याप्रमाद गायलीय . ४८६ ग्राहकोंसे ज़रूरी निवेदन इस संयुक्त किरणके साथ अनेकान्तका जहाँ हवाँ वर्ष समाप्त होरहा है वहाँ सब ग्राहकांका चन्दा भी समाप्त होरहा है। अगले वर्ष अनेकान्तका मुद्रण और प्रकाशन 'भारतीय-ज्ञानपीठ' काशीके तत्त्वावधानमें बनारससे समयपर हुआ करेगा, उसकी प्रथम किरण एक विशेषाङ्कक रूपमे छपना शुरू होगई है और वह सभी ग्राहकांका जिनका चन्दा नहीं आया है. अग्रलके प्रायः प्रथम मप्ताहमे वी० पासे भेजी जावेगी। अतः प्रेमी ग्राहकांसे सानुरोध निवेदन है कि वे बनारमस वी० पी० आनेपर उसे अवश्य छुड़ानेकी कृपा करे और विशपाङ्कके महत्वपूर्ण लेखासे यथेष्ट लाभ उठाये। -प्रकाशक अनेकान्तको प्राप्त सहायता वीरसेवामन्दिरको प्राप्त सहायता गत किरण नं०८मे प्रकाशित महायताके बाद अनेकान्तकी गत वा किरणमे प्रकाशित अनेकान्तको जो महायता प्राप्त हुई है वह निन्न महायताके बाद वीरसेवामन्दिरको जो सहायता प्रकार है और उसके लिये दातार महानुभाव प्राप्त हुई वह निम्न प्रकार है और उसके लिये धन्यवादके पात्र है: दातार महानुभाव धन्यवादके पात्र:११) श्रीशिखरचन्द दीनानाथ जैन, गञ्जमुगर २०१) रावराजा मर संठ हुकमचन्दजी नाईट, (ग्वालियर) सिद्धचक्रविधानके उपलक्षमे, इन्दौर (पीविवाहकी खुशामे निकाले हुए मार्फत श्रीवृजलाल जैन । दानमेस)। १०) श्रीदिगम्बर जैनममाज बाराबडी, मार्फत २५) श्रीमती कस्तूरीवाई जेन टोरा नीमतूरवाली कल्याणचन्दजी विशारद। इन्दौर, मार्फत श्रीदौलतराम जा मित्र'। ७) डा० पन्नालालजी जैन सम्भल. पुत्र विवाहाप- २५) ला० धूमोमल धर्मदासजा कागजी देहली लक्षमे, मार्फत विष्णुकान्तजी मुरादाबाद । और लाला मुंशीलालजा कागजी देहली २१) साहू रमेशचन्दजी नजोबावाद, साहू मूल- (पुत्र-पुत्रांक विवाहापलक्षमें निकाले हुए चन्दजाके स्वर्गवासपर निकाले दानमंसे । दानमसे) । १०) सेठ चम्पालाला पाटनी मु. राजशाही, १०) लाला शिव्बामलजी जैन अम्बाला छावनी विवाहोपलक्षम, मा० इन्द्रचन्दजी जैन । (गिद्धचक्रविधानके उपलक्षम) मार्फत पडित ५) बा० सुरेन्द्रनाथ नरेन्द्रनाथजी कलकत्ता, दरवारीलालजी कोठिया। पुत्रविवाहापलक्षमे । १०) ला० नारायणदास रूढामलजी जैन शामिला० नारायणदास रूड़ामलजी शामियानेवाले यानेवाले, सहारनपुर (ला. रूड़ामलजीके सहारनपुर, ला० रूड़ामलजीके स्वर्गवासपर। स्वर्गवाससे पूर्व निकाले हुए दानमेसे)। ५) श्रीभागचन्द दयाचन्दजी जैन, गोंदिया सी० ७) ला० सुरेन्द्रकुमार प्रकाशचन्दजी जैन, सुलपी०, पुत्रविवाहोपलक्षमें। तानपुर जि. सहारनपुर (विवाहोपलक्षमें)।
SR No.538009
Book TitleAnekant 1948 Book 09 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1948
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size35 MB
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