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अनेकान्स
[ वर्ष ६
चूनासे पुनः जोड़ा गया है। मूर्ति करीब १।। फुट धर्मपत्री मामने प्रतिमा बनवाई। उनका पुत्र महीपती पद्मासन है। पाषाण काला है । चिह्नको देखकर और वे उसे प्रतिदिन नमस्कार करते हैं। पुष्पदन्तकी मालूम होती है। कुछ शिलालेखका हिस्सा यह मूर्ति भी नं० १ मन्दिरके चौककी दीवारमें दीवारमें बन्द है. अतः पूरा नहीं पढ़ा जा सका। चिन दी गई है। शिर धदसे अलग है। चूनासे पुनः लेख नम्बर ४
जोड़ दिया गया है। दोनों हाथोकी अंगुलियाँ नहीं ____ सं० १२.६ वैशाख सुदी १३ श्रीमदनसागरपुरे हैं। चिह्न बैलका है मूर्ति चमकदार काले पाषाणकी मेडवालान्वये साहु कोकासुत साहुकारकम्प पडिमा है। आमन विशाल है। कारपिता ॥
लेख नम्बर ७ ___ भावार्थः-मेडवाल जातिभूषण साहु कोका तथा सं० १२१३ श्रीमाधुन्वये साहुश्रीयशकरसुत साहुश्रीपुत्र कारकम्पने सं० १२०९के वैशाख सुदी १३के दिन यशराय तस्य पुत्रैनः कमल यशधरी दार्याराउ प्रणप्रतिमा बनवाई।
मन्ति नित्यम् ।। ___ मूर्ति न० ४की भाँति मन्दिर नं० १के प्रांगणमें भावार्थ:-सं० १२१३में (प्रतिष्ठित की गई इस है, शिर धसे अलग है, पुनः जोड़ा गया है। मूर्तिकी मूर्तिको) माघुवंशमें पैदा होनेवाले शाह यशकर उनकी हथेली मय अँगुलियोके छिल गई है। चिह्न बन्दरका धर्मपत्नी उनके पुत्र यशराय उनके पुत्र तीन हुये-कमल है।२ फुटकी अवगाहना है। पाषाण काला तथा यशधर-दार्याराउ, ये सब प्रतिदिन प्रणाम करते हैं। चमकीला है । मूर्ति पद्मासन है।
यह मूर्ति भी मन्दिर नं. १ के चौकमे खचित है। लेख नम्बर ५
शिर धदसे अलग होनेपर पुनः जोड़ा गया है। दोनों ____ सं० १.१० वैशाख सुदी १३ पौरपाटान्वये हाथोंके पहुँचा मय अँगुलियोंके नहीं हैं। दाएँ पैरके साहु ढूंदू भार्या यशकरी तत्सुत साद भार्या दिल्हीनलबी टकनोसे नीचेका हिस्सा नहीं है (छिल गया है) तथा तत्सुत पोपति एते प्रणमन्ति नित्यम् ।।
बा' पैरकी जंघा छिल गई है। चिह्न चन्द्रका है। भावार्थ:-पौरपाटान्वयमे पैदा होने वाले साह ३ फुट अवगाहना है। श्रासन पद्मासन है। काले ढूंद उनकी धर्मपत्री यशकरी उनका पुत्र साद उसकी पाषाण की है। पनी दिल्हीलक्ष्मी उसके पुत्र पोपति ये मब इस लेख नम्बर ८ विम्बकी सं० १२१८के वैशाख सुदी १३को प्रतिष्ठा सं० १२१८ वैशाख सुदी १३ लामेचूकान्वये साहु कराकर सदा उसे नमस्कार करते हैं।
क्षते तद्भार्या बप्रा तयोः सुत नायक कमलबिन्द तद्भायो ___ यह मूर्ति भी मन्दिर नं० १के प्रांगणमें दीवारमें साल्ही सुत लघुदेव एते प्रणमन्ति नित्यम् ।। खचित है। शिर धडसे अलग है परन्तु पुनः चूनासे भावार्थ:-लमेचूकुलमे पैदा होनेवाले साहु क्षते जोड़ दिया गया है। दाँये हाथकी अंगुलियों नहीं हैं। उनकी पत्नी बप्रा उन दोनोंके पुत्र नायक कमलबिन्द चिह्न शजका है। ३ फुट ऊंची. पद्मासन काले पाषाण उनकी पत्नी माल्दी पुत्र लघुदेव येसं०१२१० वैशाखसुदी की है। आसन विशाल है।
१३का विम्वप्रतिष्ठा कराकर प्रतिदिन प्रणाम करते है। लेख नम्बर ६
यह मूर्ति भी मन्दिर नं. १ के चौकम शिर जोड़ सं० १२१६ माघमुदी १३ खडि[खंडे]लवालान्वये कर खचित है। हथेली छिल चुकी है। चिह्न कुछ नहीं साहु सल्हण तस्य भार्या माम तेन कर्मक्षयार्थ प्रतिमा ज्ञात होता है। करीब ३ फूट उंची है. पद्मासन है। । कारापिता। तस्य सुत महिपति प्रणमन्ति नित्यम् ॥ काले पाषाणसे बनी है।
भावार्थ:-सं० १२१६के माघ सुदी १३के दिन लेख नम्बरह खरडेलवाल वंशमे पैदा होनेवाले साहु सल्हण उनकी सं० १२०९ वैशाख सुदी १३ गृहपत्यन्वये सासु मल्ह