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अनेकान्त
[वर्ष
जी मानी अजमेर. रायबहादुर सेठ हीरालालजी उस समय हम लोग वीरसेवामन्दिरको अपनी शक्ति इन्दौर. बा० निर्मलकुमारजी जैन आग, ला० से भी अधिक महयोग देनेके लिये तैयार रहेंगे और कपूरचन्दजी कानपुर. माह श्रेयांमप्रमादजी बम्बई. मुन्नार मालकी इच्छानुसार वीरसेवामन्दिरके लिये सेठ लालचन्दजी सेठी उज्जन, सेठ गुलाबचन्दजी स्थानादिका अपने यहाँ सुप्रबन्ध कर देगे। इसका उपटोग्या इन्दौर मेट रतनचन्द चुन्नीलाल झवेरी बम्बई. स्थित जनताने हर्पध्वनिके माथ अभिनन्दन किया और वैद्यारत्न हर्काम कन्हैयालालजी कानपुर बा० मानिक- वडा ही आनन्द व्यक्त किया । उमके बाद विदुपीरत्न चन्दजी सगवगी कलकत्ता, बा० छोटेलालजी जैन न.पं. सुमतिवाईका सारगर्भित भापण होकर उत्सवकलकत्ता बा- नेमचन्द बालचन्दजी गाँधी सालापुर, की शेप कार्रवाई गत्रिके लिय स्थगित की गई। बा लालचन्दजी एडवाकट गहतक. बा० नानकचन्द रात्रिम पं० मुन्नालालजी ममगौरया. प. दयाचन्द्र जी एडवोकेट रोहतक. बा. उग्रसेनजी वकील गहनक जी शास्त्री. मा० शिवगमजी प० परमेष्ठीदासजी बा० जयभगवानजी एडवोकेट पानीपत पं० इन्द्रलाल आदिक प्रकृत विपयपर ओजस्वी व्याख्यान हुए। दृमर जी शास्त्री जयपुर, पं० चैनमुग्वदासजी जयपुर पं. दिनपं पन्नालालजी साहित्याचार्य,प्रो० पन्नालालजी जगन्मोहनलालजी कटनी. ला. परमादीलालजी धर्मालङ्कार, वा० सुकुमालचन्दजी देहली. मुख्तार मा० पाटनी देहली. ला. तनसुग्वरायजी देहली मि और पूज्य अध्यक्षजीक मामयिक भाषण हुए। इसके गनपतलालजी गुरहा खुरई. बा. कामताप्रमादर्जा बाद धन्यवादादि सहित विमर्जनपूर्वक उत्सव निर्विघ्न अलीगञ्ज.पं.तुलसीरामजी बात मठ चिरञ्जीलाल समान ग्रा। जी बड़जात्या वर्धा, प. भुजबलीजी शास्त्री मूडबिद्री उत्सवम तीन प्रस्ताव भी पाम हुए दा प्रस्ताव पं. बलाद्रजी सम्पादक जैन सन्देश' आगरा प्रभृति
महात्मा गाँधी और पं. रामप्रसादनी शास्त्रीके श्रवमहानुभाव है । पं. फुलचन्द्रजी शास्त्री पं० कलाशचद्र मानपर शांक-विषयक है और तीसग वारशामनजी शास्त्री और पं० गजेन्द्रकुमारजी न्यायतार्थक वीर- जयन्तीपर्वको मर्वत्र व्यापकम्पमं मनाय जानकी शासनपर महत्वके भापण हुए। पं. राजन्द्रकुमारजाने प्रणा विपयक है। जब वारसेवामन्दिरके कायोका उल्लेग्य करते हुए
इसी अवमरपर भा, दि० जैन विद्वत्परिपदकी मुम्तार मालकी जन-साहित्य और इतिहास लिय
कार्यकारिणी और पाठ्य-निमागणमितिकी भी बैठक की गई सेवाओपर गर्व प्रकट किया और वीरसेवा
हुई और जिनमे अनक बातोपर विचार-विमश हुआ। भन्दिरको इतिहासनिमाणकी ओर मुख्यतः गति करने
इन आयोजनामे सबसे ज्यादा व्यवस्थादिविपयक पर जोर दिया तब मुख्तार मा० ने एक मार्मिक भापण
कष्ट और परिश्रम प. चन्द्रमौलिजी शास्त्री. श्री दिया जिसमे आपने वीरसेवामन्दिरकी आवश्यकताओं
भैयालालजी म्वागतमन्त्री. बा. हीरालालजा स्वागतातथा अपनी इच्छाओ और प्रवृत्तियोंका व्यक्त करत यक्ष और सेठ गणेशीलालजीका उठाना पड़ा है और हुए समाजका मचा महयोग देने एवं वीरसवामन्दिर
इसके लिये वे अवश्य समाजके धन्यवादपात्र है। को पूर्णतः अपनाकर उसे देहलीमें विशालरूप देनेके
मुरारकी जन-समाज भी धन्यवादका पात्र है, जिसने लिये प्रेरित किया। इसपर पूज्य अध्यक्षजीका बड़ा
अपने श्रद्धापूर्ण हृदयोसे पूज्यवर्णीसंघका चतुर्मास ही प्रभावपूर्ण भाषण हुया. जिसके द्वारा समाजका
का कराया और उसके निमित्तसे वीरशासन-जयन्ती जैसे उक्त महयोग देनेकी विशप प्रेरणा की गई ।
महत्वपूर्ण उत्सव तथा विद्वत्परिपदकी कार्यकारिणी और देहलीके उपस्थित सभी श्रीमानोकी भाग्से
की बैठकांका आयोजन किया। रायबहादुर बा. उल्फतरायजीने स्पष्ट शब्दोंमे श्राश्वासन दिया कि जब पूज्य वर्णाजी देहला पधारेगे
-दरबारीलाल .