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________________ पृष्ठ २४५ २४६ २४७ २५० विषय-सूची लेख नाम १ निष्ठुर कवि और विधाताकी भूल (कविता)-[कवि भूधरदास २ जीरापल्ली-पार्श्वनाथ-स्तोत्र-सम्पादक ३ समन्तभद्र भारतीके कुछ नमूने (युक्त्यनुशासन)-[सम्पादक ४ स्मरण शक्ति बढ़ानेका अचूक उपाय-वसन्तलाल वर्मा ५ जीवका स्वभाव-श्रीजुगलकिशोर काराजी ६ कर्म और उसका कार्य-[पं० फूलचन्द सिद्धान्त शास्त्री ७ जैन पुरातन अवशेष (विहङ्गावलोकन)-स० मुनिकान्तिसागर ८ वैशाली (एक समस्या)-स० मुनिकान्तिसागर ह दान-विचार-श्रीक्षुल्लक गणेशप्रमादजी वर्णी १० मुरारमें वीरशासन-जयन्तीका महत्वपूर्ण उत्सव-पं. दरबारीलाल ११ भापण-श्रीक्षुल्लक गणेशप्रसादजी वर्णी १२ सम्पादकीय-अयोध्याप्रसाद गायलीय :: मुनिकान्तिसागर १३ पाकिस्तानी पत्र-[गलामहर्मन कमरा मिनहास २५१ २५३ २६६ २६६ २७५ २८१ वीरसेवामन्दिरको दस हजारका प्रशंसनीय दान श्रीमान बाबू नन्दलालजी मरावगी सुपुत्र सेठ ता०२८ जुलाई सन् १९४८ को आप वीरसेवामन्दिरके रामजीवनजी सरावगी कलकत्ताके शुम नामसे अने. दर्शनार्थ मरमावा तशरीफ लाये थे-तीन दिन ठहरे कान्तके पाठक भले प्रकार परिचित है। आप कल- थे। वीरसेवामन्दिर और उसकी लायब्रेरीको पहली कत्ताके सुप्रसिद्ध बाबू छोटेलालजी जैनके छोटे भाई ही बार देखकर आपने अपनी बडी प्रसन्नता व्यक्त हैं और अच्छे दानशील है। आप चुपचाप अनेक की और जव ापक मामने वे ग्रन्थ श्राए जो वीरमामि अनेक प्रकारका दान किया करते है। वार- सेवान्दिर-द्वारा तय्यार किये गये हैं और प्रकाशनकी सेवान्दिर और उनके कार्योंके प्रति आपका बडा प्रेम बाट जोह रहे है तब आपने बड़ी उदारताके साथ है और श्राप उसे कितनी ही सहायता भेजते तथा उनके शीघ्र प्रकाशनार्थ दस हजार रुपयकी रकम पुत्र-पनी आदिकी ओरसे भिजवाते रहे हैं। हालमे प्रदान की। इस उदार और प्रशंसनीय दानके लिये आप वीरशासन-जयन्तीके उत्सवपर अपनी पत्नी आपका जितना भी धन्यवाद दिया जाय वह सब श्रीमती कमलाबाईजी और लघुपुत्र चिरञ्जीव निर्मल- थोता है। इसके लिये यह संस्था आपकी चिरऋणी कुमार-महित मुरार (ग्वालियर) पधारे थे । वहाँसे रहेगी। मुझे साथ लेकर श्रीमहावीरजीकी यात्रा करते हुए जुगलकिशोर मुख्तार
SR No.538009
Book TitleAnekant 1948 Book 09 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1948
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size35 MB
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