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अनेक
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भाषाढ़, संवत् २००५ :: जुलाई, सन् १९४८
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किरण ७
दो प्रश्न अन्तहित हल सहित
पठन क्योंकर हो ? प्रथम तो 'पठनं कठिन' प्रभो! सुलभ पाठक-पुस्तक जो न हो। हृदय-चिन्तित, देह सरोग हो, पठन स्योंकर हो तुम ही कहो ?
क्यों न निराश हो! प्रबल धैर्य नहीं जिस पास हो, हृदयमें न विवेक-निवास हो। न श्रम हो, नहिं शक्ति-विकास हो, जमतमें वह क्यों न निराश हो ?
प्रधान सम्पादक जुगलकिशोर मुख्तार
सह सम्पादक मुनि कान्तिसागर दरबारीलाल न्यायाचार्य भयोध्याप्रसाद गोयलीय
सञ्चालक-म्यवस्थापक V भारतीय मानपीठ, काशी
A संस्थापक-प्रवर्तक वीरसेवामन्दिर, सरसावा
-युगधीर
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