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________________ जैसलमेर के भंडारोमें प्राप्त कुछ नवीन तापीय प्रतियां ताड़पत्रीय (लेखक श्री अगरचंद-नाइटा, भंवरला नाहटा बीकानेर) || श्वे X 8 Xx3 ताम्बर जैन हस्तलिखित ज्ञानभण्डारोक लिए जेपलमेर बहुत ही प्रसिद्ध स्थान है। यहां की तापीय प्रतियोंका पूरा विवरया गायकवाद श्ररिन्टयल सिरीजद्वारा सन् १९२३ में एक सूचीपत्र स्वर्गीय चिमनलाल डाह्याभाई दलाल और श्री पं० लालचंद भ० गांधी द्वारा सम्पा दिन प्रकाशित हुआ था जिसमें बड़े भंडारी ३४० ताश्वाय प्रति उपागच्छीय भंडारकी सा०प्रतियोंका परिचय प्रकाशित हुआ है । स्वर्गीय दलाल महोदय ने बहा भंडार, तपागच्छ भंडार, इगरजी यतिभंडार और मेट थाहरुपाहका भंडार इन चार ज्ञान भंडारोंका दर्शन, अवलोकन किया और प्रतियं के अतिरिक्त थोडेसे कागज पर लिखे महत्व पूर्ण ग्रंथोंका परिचय भी उप सूची में दिया है । उस सूचीके अवलोकनके बाद यदि पंचमीचंदजीकी बनाई हुई बड़े भंडार के कागजके प्रथोंकी विस्तृत सूची में उन्हीं पवित्री द्वारा प्राप्त हुई थी। उनके अवलोकनके अनन्तर कई वर्षो हमारी प्रबल उत्कण्ठा थी कि जेसलमेर के समस्त ज्ञान भंडारोंको भली भांति अवलोकन किया जाय । सौभाग्य वंश अभी वह उत्कण्ठा पूर्ण हुई, श्रीजिनहरिसागरसूरी जी महाराज वहां विराजनंसे हमारे इस कार्यमें बहुत कुछ के साहाय्य मिला सं० १६६४ के श्रवण कृष्णा १४ के दिन संध्याकी गाडी बीकानेरसे रवाना होकर अमावस्याकी रात्रिमें पाहड़मेर पहुंचे, प्रतिपदा के दिन वहांके मन्दिरों के दर्शन-पूजन, लेखों का संग्रह और यतिवर्य श्री नेमीचंद्र जीके कुछ हस्तलिखित ग्रंथोंका अवलोकन कर संध्या समय मोटर द्वारा जेसलमेरको रवाना हुए। प्रातः काल जेसलमेर पहुंचकर वहां के दुर्गास्थित भव्य अजिनालयों का दर्शन पूजन किया तदनंतरमी के दर्शन कर उसी दिन दुपहर में यतिवर्य उ० श्री वृद्धिचंद्रजीके संग्रहका निरीक्षण किया। द्वितीयाको यह कार्य समाप्त कर दो दिन में यति श्रीङ्गरसीजीके भंडार के समस्त ग्रंथोंका अवलोकन किया इन दोनों भंडावलोकनमें श्रीयुत लक्ष्मं चंदजी यतिका सहाय्य उल्लेखनीय था, इसके बाद दो दिन तपागच्छीय भंडार के समस्त ग्रंथ देखने लगे। इसके पश्चात् खरतर आचार्य शाखा के भंडार वानेके प्रयत्न में कुछ विश्राम करना पड़ा इसी बीच उसी उपाश्रय के यति के संग्रहको देख कर दो दिनमें प्राचार्य शाखा के भंडारकं थंडेम ग्रंथोंको देखने में लगे फिर दुर्गस्थित श्रीजिनमद्रसूरी ज्ञान भंडार (बदा भंडार के आवश्यक प्रयोका निरीक्षण कार्य प्रारम्भ किया गया। इसी बीच दो दिन बौद्रवाकी यात्रामें लगे, श्राते समय अमरसागर के मन्दिरोंका भी दर्शन किया । तदनंतर चाहरु साह भंडारका प्वलोकन करके बड़े उपायके पंचायती भंडार शादी में अवलोकन किया। समय समय पर दुर्गास्थित मन्दिरोंके लेखोंका मिलान * एवं अप्रकाशित लेखोंका संग्रह और बड़े भंडारके ग्रंथों के अवलोकनका कार्य चलता रहा, इस प्रकार २२ दिन जेसलमेरकी साहित्य यात्रा करके वाहड़मेर भाकर स्वर्गीय यति इंद्रचंदजीके ग्रंथोंका निरीक्षण किया, वहांसे श्रा समय फलौदी तीर्थ की यात्रा कर २६ दिनोंसे भादवा बदी १० को रात्रि में बीकानेर पहुंचे। जेमनमेर में कुल 8 ज्ञान भंडार हैं जिनमेंमें चारके ग्रंथों कुछ परिचय प्रकाशित हो जाने प्रसिद्ध है हमने उनके अतिरिक्त हमने उनके अतिरित १४० वृद्धिचंदजीका संग्रह २ बढ़ा उपासरा पंचायती भंडार, ३ स्वतराचार्य शाखा भंडार, ४ यति चुन्नीलालजीस संग्रह, इन चारों भंडारों का नया अवलोकन किया इनके अतिरिक्त लुवगच्छके • नादरजीके जैन लेखसंग्रह ३ रे भाग (जैसलमेर) से ।
SR No.538008
Book TitleAnekant 1946 Book 08 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1946
Total Pages513
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size68 MB
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