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________________ (पृष्ठ ४२८ का शेषांश) वीरसेवामन्दिरको सहायता के छात्रों तथा मा० गोपीचन्दजीके मधुर गायन एवं मा० जैनकुमारके, बेला, जलतरंग आदि होकर ग्यारह बजे सभा सानन्द समाप्त हो गई। दूसरे दिन ता० ५ जुलाईको दिनमें जैन कन्या गत किरण (८-९) में प्रकाशित सहायताके पाटशालाके नूतनभवनमें श्री जयवन्तीदेवीकी अध्यक्षतामें बाद 'वीरसेवामन्दिर' सरसावाको जो सहायता महिलाओं को भी सभा हुई, जिसमें सभानेत्रीजीके अतिरिक्त प्राप्त हुई है वह निम्न प्रकार है, जिसके लिये दातार श्री क्षमाबाई प्र० अ०, श्री गिरजाबाई, सौ० चमेलीदेवी, श्री भगवतीदेवी और बालिकाअोंके स्त्री-शिक्षा आदि महानुभाव धन्यवाद के पात्र हैं। विषयोपर व्याख्यान हुए । रात्रिमें वैद्यरत्न कन्हैयालालजीके ५०) बाबू लालचन्दजी जैन एडवोकेट रोहतक सभापतित्वमें वहीं सार्वजनिक सभा की गई, जिसमें पण्डित (वीरशासन-दिवसकी स्मृतिके उपलक्षमें) । चन्द्रमोलि जी, बा० ज्योतिप्रमाद, सभापतिजी और मेरे भापण ए तथा अनाथाश्रमके छात्रों एवं मास्टर १०) लाला सूरतरामजी जैन पानीपत जिला गोपीचन्दक, गायन और मा० जैनकुमारके बेला, जलतरंग करनाल (चि० पुत्र कुलभूषणके विवाहोआदि हुए । धन्यवाद अादि वितरण करनेके उपरान्त पलक्षमें ) मार्फत पण्डित रूपचन्दजी जैन सरसावा गमाजकी योग्मे जैन अनाथालयके लिये करीब गार्गीय, पानीपत । १०१) रुपये भेंट किये गये। इस तरह वीरशासनजयन्तीका यह दोनों दिनका उत्सव बड़े अानन्द और सजन-ममागमके साथ निर्विघ्नतया ६०) पूर्ण हुआ। -दरबारीलाल जैन, कोठिया । -अधिष्ठाता 'वीरसेवामन्दिर' जरूरी सूचना JOE इस किरणमें प्रकाशित 'जैन-गुण-दर्पण' की कुछ कापियां अच्छे बढ़िया कागजपर अलग भी छपाई गई हैं । जिन सज्जनोंको कांचमें जड़ाकर मन्दिर आदिमें लगाना हो वे अावश्यकतानुसार कापियां वीरसेवामन्दिरसे मंगा सकते हैं । -व्यवस्थापक 'अनेकान्त' ODDODDDDDD
SR No.538008
Book TitleAnekant 1946 Book 08 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1946
Total Pages513
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size68 MB
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