________________
वीर-शासन-महोत्सव
श्री वीर जिनेन्द्र के शासनको-उनके धर्म तीर्थ को-प्रवर्तित हुए २५०० वर्ष हो चुके हम भर्सेमें वीरशासनने जगत के जीवों का जो अनन्त उपकार किया है वह वर्णनातीत है। संक्षेप में इतमा ही कहा जा सकता कि यह सर्वोदय तीय है-सब जीवोंके अभ्युदय उत्थान और प्रारमाके पूर्ण विकाशक साधक है। इसने जन्म लेकर संसारकं भूले-भटके प्राणियों को उनके हितका वह मन्देश सुनाया है जिससे उन्हें दुःवोंसे छुटने का मार्ग मिला, दुःखकी कारणीभूत भूलें जान पडी उनके वहम तुर हुए और उन्हें यह स्पष्ट प्रतिभारित हुआ कि सच्चा सुख अहिंसा और अनेकान्त दृष्टिको अपनानेमें हैं. ममताको अपने जीवनका अंग बनानेमें अथवा बन्धनसे परतन्त्रतासे-घटनेमे हैं। साथही, इस शापनने आमात्रओंको ममान बतलाते हुए प्रामविकासका सीधा तथा सरल उपाय सुझाया और यह स्पष्ट घोषित किया कि अपना उत्थान और पतन अपने हाथमे हैं उसके लिये नितान्त दूसरों पर प्राधार रखना, सर्वथा पावलम्बी होना अथवा तुमरों को दोष देना भारी भूल है। इसमे पीदिन पतित और मार्गच्युत जनता को यह आश्वासन मिला कि उसका उद्धार हो सकता है, स्त्रीजाति तथा शद्रो पर होने वाले तत्कालीन अत्याचारों में भारी रुकावट पैदा हुई और वे सभीजन यथेष्ट रूपमे विद्या पढने तथा धर्म साधन करने प्रादिके अधिकारी ठहराये गये। इसके सिवाय हिंसात्मक यज्ञोंमें होने वाले कावलिदानी का जो अन्न हुआ और जिसमे मनुष्य समाज कुछ उँचे उठा वह सब इम शामन की वामदेन है
इन्हीं पब उपकारोंके उपलक्षमे अागामी ३१ वक्तबरसे ४ नवम्बर तक कलकत्साम वीरशासनका माईद्वय महमाब्दि महोत्सव मनाया जाने वाला है, जिसके लिये बनी बडी तय्यारियों होरही हैं, देश-विदेश की विदजनता जुडेगी और वीरशासनको अपनी द्धाजलि कपंण करेगी यह अपूर्व रश्य देखने ही योग्य होगा। प्रत: वीरशासनक प्रेमी सभी मजनों को इस शुभ अवसरपर कलकत्ता पधारकर वीरशासनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक. करनी चाहिये और विद्वानोंके सभागममे यथेष्ट लाभ उठाना चाहिये।
मम्पादक