________________
वीर-सेवा-मन्दिरको सहायता २५) श्रीमती जयवन्तीदेवी, नानौता जि० सहारनपुर श्रीदादी
जीके दानमेसे। गत किरण नं. ७-८में प्रकाशित सहायताके बद २) श्रीदिगम्बर जैन पंचान सरसावा (दशलक्षण पर्वक बीरसेवामन्दिर सरमावाको साधारण सदस्य फीसके अलावा - उपलक्षण)। व्यवस्थापक, अनेकान्त जो सहायता प्राप्त हुई। वह क्रमशः निम्न प्रकार है. और ३२ उसके लिये दातार महानुभाव धन्यवारके पात्र हैं:- बीरसेवामंदिर-लायब्रेरीको सहायता-वचन १२५) बाबू निर्मलकुमारजी जैन रईस भारा (आजीवन
नजीबाबाद जि. बिजनौरके जैन संस साहू अजित. सदस्य फीम)
प्रसादजीके सुपुत्र साहू प्रकाशचन्द्रजीने दशलक्षण पर्वक १०१) ५०१ बाबू राजकृष्ण हरिचन्दजी जैन, दरियागंज
अवसर पर पं. परमानन्दजी शास्त्रीकी प्रेरणाको पाकर देहली, अध्यामकमलमार्तण्डकी मिर्फ छपाई. पंचाई
वीरसंवामन्दिर लायब्रेरीको श्री नगेन्द्रनाथ वसुका 'हिन्दी और कागज खर्च ७६७)in के मध्ये ।
विश्वकोष', जो हिन्दीका सबसे बड़ा कोष है और अब तक २५१॥) श्रीमती गेंदोबीबीजी धर्मपत्नी श्रीमान् लाला
जिसकी २२ जिल्दं प्रकाशित हो चुकी हैं, खरीदकर देनेका पमालालजी जैन, मानिक फर्म जैनी ग्रादर्स, बतौर
वचन दिया है। इस कृपा एवं उदारताके लिये आप हार्दिक कुल खर्च छपाई बंधाई प्रादि प्रभाद्रीय
धन्यवाद के पात्र हैं। प्राशा है दूसरे सजन भी इसी तरह तन्वार्थसूत्र ।
अपने सहयोग-द्वारा इस लायब्रेरीको समृद्ध बनाने का पूरा 1) गुप्तमहायता, देहलीके एक मानकी पोरसे।।
प्रयत्न करेंगे। २१.) श्रीसकल दिगम्बरजैन पंचान कलकत्ता गत वि० सं० २००५के भादोमाय में निकाले दुए दान मेंसे)।
जरूरी सूचना ५१) श्रीदिगम्बर जैन पंचान सरसावा, जि. सहारनपुर
पिछली किरणके साथ अनेकान्त के छठे वर्षकी वह दशलक्षणपर्वके उपलक्षमें। ११) श्रीदिगम्बर जैन समाज नजीबाबाद जिला बिजनौर,
वार्षिक विषय-सची भेजी गई है जो कंट्रोल प्रारकी वजह दशलक्षणापर्व के उपलक्ष में, मार्फत पं० परमानन्द
से छठे वर्ष के अन्त में नहीं दी जा सकी थी. माहक जन उसे भी जैन शासी सरसावा।
छठे वर्षकी फाइक में लगाने । जो सजन छठे वर्ष में प्राहक १.) दिगम्बरजैनसमाज नजीबाबाद सफर खर्चकी सहा.
न रहे हों उन्हे कृपाकर वह सी अपने निकटवर्ती उन
ग्राहकों से किसीको देदेनी चाहिये जो छठे वर्ष में तो ग्राहक यता मार्फत श्री पं० परमानन्दजी।
हो किन्तु सातवे वर्ष में ग्राहक न रहे हों। सात वर्षकी १.१) श्रीमती पद्मावतीदेवी धर्मपत्नी स्व. साहू सुमति
वार्षिक विषय-सची इस किरण के साथ दी गई है, जिसे --- प्रसादजी जैन नजीबाबाद, जिला बिजनौर (प्रन्थ
जिल्द बंधाते समय निकाल कर शुरूमें बगा लेना चाहिये। 1४४२ मालाकी सहायतार्थ, अध्यात्म-कमल मार्तयटकी
-प्रकाशक प्रतियां अपनी ओरम कुछ जैन मन्दिरों तथा संस्थानों को फ्री भिजवाने के लिये मार्फत पं० परमा- अनेकान्तके प्रेमियोंसे निवेदन नन्द जैन शास्त्री सरसावा। अधिष्ठाता, वीरसेवामन्दिर अनेकात के प्रथम, चतुर्थ पंचम षष्ठम और सप्तम
वर्षकी कुछ फाइलें विक्रियार्थ मौजूद हैं जिन महानुभावोंको अनेकान्तको सहायता
भावश्यकता हो वे आर्डर देकर उन्हें मंगवा लेवे। अन्यथा
कुछ समय बाद इनका मिलना भी दुष्कर हो जायगा। पिछली किरया में प्रकाशित सहायताके बाद अनेकान्त
२ अनेकाम्तके चतुर्थ और पंचम वर्षके विशेषांकोंको को जो सहायता प्राप्त हुई। वह क्रमश: निम्न प्रकार है,
कुछ कापियों भी विक्रियार्थ अवशिष्ट हैं । प्रत्येक विशेषांक का जिपके लिये दातार महानुभाव धन्यवाद के पात्र हैं- मुल्य है। आर्डर देने वालोंको प्रचारकी दृष्टिसे रिया५) बाबू रामगोपालजी जैन बाहौर, मार्फत पं. अजित- यती मूल्य ।) में की अंक दिया जायगा। कुमारजी जैन शास्त्री, मुखतान ।
व्यवस्थापक, अनेकान्त