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कामत
सम्पादक-जुगलकिशोर मुख्तार
अनेकान्तकं पाठकों और लेखकोंको शुभ समाचार
कंट्रोल आर्डरके कारण अनेकान्त कई महीनोंसे बहुत ही क्षीणकाय चल रहा है और कागज न मिल सकने के कारण समयपर उसका प्रकाशन भी नहीं हो रहा । इसीसे हमें दो दो महीनोंकी कई मंयुक्त किरणे निकालने के लिये बाध्य होना पड़ा और उनमे हम उतने भी पेज न दे सके जितने कि एक मामकी किरणमें दिया करते थे। तथा पाठकोको जो प्रतीक्षाजन्य कष्ट उठाना पड़ा उसका कथन भी नहीं किया जासकता कितने ही उत्मक णटकोंको हम उत्तर देने देते थक गये और कई लेखोंको स्थानाभाव के कारण वापिस भी कर देना पड़ा, जिमशहमे खेद है। परन्तु अनिच्छास यह सब कुछ करते हुए भी भविष्यकी और हमारी आशा लगी हुई थी जो अब कुछ फलिन हुई है। यहाँ पर पाठकों को यह जान कर प्रसन्नता होगी कि अनेकान्तको न्यूजप्रिण्टका अच्छा काटजर हआ है, अतः पेपर मिलतेही अनेकान्त अब अप्रैल की किरणसे पहले की तरह अधिक पेजोंको लिये हुए प्रकाशित रा करेगा। हम चाहते हैं कि पिछले महीनों में पंजों की जो कमी पड़ी है उम अगले महीनोंमें यथाशक्ति कुछ पूरा किया जाय । अतः पाटक धैर्य रखें। साथ ही सुलेखकों से अनुरोध है कि वे अपनी सुन्दर रचना शीघ्र ही अनकान्त आफिस वीरम बामन्दिरको भेजने की कृपा करें; क्योंकि अप्रैलकी किरण जल्दी ही प्रेस में दी जानेको है।
* विषय-ममी * 1-श्री अमृतचन्द्र स्मरण पृ० ६, ७-सप्तवेषी व हरधारियोंमे (कविता) ७३ २- रत्न. पा. और प्राप्तगी का कर्तव ८--मुख और समता ३-~गजपन्य क्षेत्रके पुराने उल्लंम्ब
६-भारतीय इतिहासका जनयुग ४-अपमान या अन्याचार
१०-धनपाल नामके चार विद्वान
१-स्वयंवरा (कविता) -विद्यानन्दका समय ६-जगत रचना
৫৫ হাথবন্ধ ‘মনাল
ANAKANIANITA
फरवरी-मार्च १९४५
KANSALAISTELEHUIDUSTAHLBERG
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