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________________ श्री जुगलकिशोर मुख़्तार-सम्मान-समारोहका देशव्यापी स्वागत समाजके प्रमुख पुरुषों की शुभकामनाएँ रयबहादर श्रीमंठ लालचन्दजी संठी, उज्जैन पं. जुगलनि शोर मुख्तार जैन समाज के लिये गौरवगवराजा मर सेठ हुकमचन्दजी, इन्दौर म्वरूप हैं। उनकी सेवाएँ परम प्रशंसनीय चिरस्मरणीय है। मम्मानमहोत्सव में अपने उपस्थित न हो सकने वेद गारमें-खेद है।कश्रा नहीं सकता, सफलता चाहता है। है । क्षमावाया हूँ । प्रायोजनबाम्तवमै सगरमीय है। रायबहादुर श्री नान्दमलजी, अजमेर .... पण्डितजीकी भारतीय संस्कृति और प्राचीन साहित्यकी वृद्धावस्था और अस्वायनाक कारग न प्रामक नेपर खोज प्रशंसनीय व अनुकरणं य है । श्राक लेम्ब पक्षगन. वेद है। जैन साहित्य अन्वेषण और दस-संशाधनके रहित है और श्रापने वीर सेवामन्दिर और 'अनेकान्त' जन्मदा मोम मुमताराचा स्थान सम्पार है। वे को जन्म देकर समाज में जनधमकी सच्ची जागांत करनेका दीर्घायु। जो प्रयत्न किया है और हम वृद्ध अवस्था में भी कर रहे हैं, श्रीमानमहायजी जैन. देलीउनका यह उपकार जैन समाज कभी नहीं भूल सकती। त्यन्न ..मन्न हूं, उत्सवकी सफला चारता हूँ। मेगे शुभ कामना है कि वे दं.जे.बी हों। व्र० पण्डिता श्रीमती चन्दा बाईजी, आग-- विवार श्री बाछोटेलाल जैन, रईस, कलकत्ता मुख्तार साहबका अनुपम मेवाश्रीका सम्मान मबंधा तार-हार्दिक अभिनन्दन । वे दीर्घायु हो। उचित है। रानी फूलकुमारी एम. एल. सी. चेयरमैन डिस्ट्रिक्ट श्री बाबू अजितप्रमादजी लगनऊबोर्ड, बिजनौर ज्ञानवृद्ध, अनुभववृद्ध. वगग्यभाग्वृद्ध, निगभिमान, यह महोत्सव हपार्ग जातिक जीवनका चिन्हे और जिनवाणीभक्त, मापसेवक, युगवीर पं. जुगल किशोर हमारे गष्ट्रके. उचल भविष्यकी सूचना है। श्रद्धेय मुख्तार मुरुनारकी वर्षगाँटपर उत्सब परना मंवर निर्जग, श्रात्मासाहबका अभिनन्दन और संयोजकाको धन्यवाद । ननि, आत्मविकाम, जात्युद्धार, धर्मप्रचारका साधन है। श्रा. लेफ्टीनेन्ट, रायबहादुर, श्री भागचन्द सोनी पण्डित जुगलकिशरजीम जी अनुपम गुण हैं, उनका एम०एस०ए०, ओ०ची०ई०, अजमेर स्मरण, बखान, गान और अनुकरण अात्मोपकारक है। मैं इस श्रायोजनकी प्रशंसा करता हूँ कि एक बयोवृद्ध ज.जगतके पथप्रशंक. उत्साहवर्धक, श्रादर्शपुरूप, दानमाहित्यसेवीके लिये उचित सम्मानकी व्यवस्था की। चीर मुरुनारजी चिरायु हो। शुभ कामनाएँ। श्री. जीवराजगौतमचंद दोषी, शंलापुर-- दानवीर माहू शान्तिप्रमादजी, डालमियानगर जैन ममान में श्री मम्वतारजीके ममान समालोचकरराष्ट्रसे तार-उत्सवकी मफलना चाहता हूँ। मुख्तार साहब माहित्यका अध्ययन कर उसकी गहनना और महत्ताका ने साहित्यकी शोधका जो दीपक जलाया, यह ईश्वर करे, प्रदर्शक महापुरुष अन्य नहीं हुश्रा । उन्होंने अपना नन, युग युग तक पकाश फैलाता रहे । मैं उनका अभिनन्दन मन, धन माहत्यसेवा लगाया। उनका मम्मान-श्रायोजन करता हूँ। प्रशमनीय है। श्री तीर्थक्षेत्र कमेटी, श्री महावीरजी, चान्दक गांव- श्री सेठ मटकमल बैनाड़ा, आगरा प्रबन्धकारिणी कमेटी उत्सवकी सफलता चाहती है मुम्वतार माहयका कार्य अमिट है और उनके कारण और पं. जुगलकिशोरजीके दीर्घजीवन की कामना करती है। माग समाज गौरवान्वित है।
SR No.538006
Book TitleAnekant 1944 Book 06 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1944
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size28 MB
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