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________________ हमारे सहयोगी विवर श्री पं० जुगलकिशोर मुख्तारके सम्मान समारोह है. उनमें एक विशेष प्रकारका भाकर्षण है और वे लोगों को सफल करनेके लिये जो समिति बनाई गई, उसमें प्राशाके केन्द्र बनते जा रहे हैं। सहारनपुर जिले में एक निम्नलिखित सदस्य थे प्रभावशाली धनी हिन्दू-मुखकी कमी बहुत विनमे सखटकती श्री प्रद्युम्नकुमार रायसाहब रही है, यदि विशालचन्दजी अपने कानोंको कमजोर और श्री विशालचन्द, स्पेशल मैजिस्ट्रेट सांखोंको तेज़ रखपकें, तो बहुत शीघ्र उम कमीकी पूर्ति श्री जुगमन्दरदास, भानरेरी मैजिस्ट्रेट कर सकेंगे, यह प्राशा है। मुख्नार महोदय और बाबू श्री.दीवान जुगलकिशोर, चेयरमैन(शिक्षा)डि बोर्ड राजेन्द्रकुमारजीके सम्मानमें आपने जो टी पार्टी दी, वह श्री भाईदास जैन, इंस पापक प्रभाव और व्यवस्था दोनोंका सुन्दर उदाहरणा थी। श्री सेठ सेवकराम खेमका श्री दीवान जुगलकिशोरजी जिलेके एक प्रभावश्री मामराज हर्षित' श्री भीमप्रकाश मित्तल श्री जम्यूप्रधाद मुख्तार श्री जयप्रकाश गोटेवाले श्र, दिगम्बरप्रसाद मुख्तार श्री स्वामन डेरेवाले श्री दीपचन्द रावलपियडी वाले श्री मंगलकिरण जैन श्री कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' रायसाहब लाला प्रद्युम्नकुमारजी सहारनपुर ही नहीं इस प्रान्तके प्रमुख जमीदारी हैं, फिर भी अत्यन्त सरल, नन्न नागरिक हैं। उनकी सच्चरित्रलाकी च और प्रशंसा उनके विरोधी भी करते हैं। पूर्ण योग्यतासे उन्होंने अपनी स्टेटकी व्यवस्थाकी है। वे स्वयं विद्वान विद्वानों का मान करना जानते हैं। उनमें अपने ते: स्वी पिता स्व. बा. जम्यूप्रसादजी-सी महत्वाचाएं भी हैं, पर वैकी सामाजिकता नहीं है। इस उत्सवकी सफलतामें उनके सह. योगका महत्वपूर्ण भाग है। हर समय और हरेक काममें के साथ रहे और उत्सवको उन्होंने बिलकुल अपना ही हीकाम समझा। श्री विशालचन्दजी बी० ए०, एन. बी. स्पेशल मैजिस्ट्रेट हमारे जिलेकी उभरती हुई शक्ति हैं। उनमें गजबकी सूझ है, संगठन शक्ति है, व्यवस्था है। उनके पास साधन है, उन साधनोंका उपयोग करनेकी योग्यता शाली पुरुष और बोडोंकी राजनीतिक पुराने विबादी है।
SR No.538006
Book TitleAnekant 1944 Book 06 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1944
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size28 MB
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