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________________ किरण ५] समासेहका विवरण १६५ मास्टर उप्रमैनजी और प्रभाकर जी आदि रसोईघर रातमें जा बजे जैनहाईस्कूल में बने विशाल पण्डाल की ओर बैठे थे और बड़ौतके ला. जगदीशप्रसादजी में सम्मान समारोह प्रारम्भ हुमा । खतौलीके श्री बाबू रईस पंक्तिके अन्तिम छोरपर थे । रसोईमेंस जो लालजीने मंगलाचरण किया और श्री रविचन्द्रजी पूरियाँ पातीं, वे दूसरे सिरे तक न पहुँच पातीं, इस बिजनौरने 'मेरी भावना' का सामूहिक पाठ किया। पर प्रभाकर जीने मास्टर उपसैनजीसे कहा कि भाई __ स्वागताध्यक्ष श्री लाला प्रद्युम्नकुमारजीने अपना जगदीशप्रसादजी इस समय पिछड़ी जातिके प्रतीक भाषण पढ़ा, जो अन्यत्र प्रकाशित है । सभापतिने है। जगदीशप्रसादजी एक बार तो सनाये, पर उनकी अपना आसन ग्रहण किया और उन्होंने श्रीमान् प्रतिभा शीघ्र ही जाग उठी और वे बोले-“साहब, मुख्तार साहबको आसन दिया । दोनोंको मालाएं सन्तोष का फल मीठा होता है, यह धर्मशास्त्रों में लिखा पहनाई गई। राजेन्द्रकुमारजीने अपना मौखिक है!" इसी समय शारदाकुमारीने, वक्तकी बात, भाषण दिया, जो अन्यत्र प्रकाशित है । श्री कौशल फलोंकी तश्तरियाँ लाकर ठीक ला० जगदीश- प्रसादजीने बाहरसे पाये सन्देश पदे। और प्रो० प्रसादजीके सामने लगादीं। एक खास मुद्रामें प्रभाकर गयाप्रसादजी शुक्लने स्वागतगान पढ़ा। जीकी ओर देखकर वे वोले-कहिये, जनाब कैसी श्री अहंदासजीने अभिनन्दनपत्र पढ़ा और श्री रही?" और मत्र लोग इतने जोरसे हंसे कि भवन मुख्तार महोदयको भेंट किया सर्व श्री लालचन्दजी गंज गया । वास्तविक बात यह है कि उत्सवका वाता रोहतक, बा० रतनलालजी बिजनौर, श्रीमती लखवती वरण इतना उल्लाम पूर्ण था कि प्रत्येक सम्बन्धित जी अम्बाला, पं० गजेन्द्रकुमारजी मथुग, जगदीश मनुष्य एक नया जीवन अनुभव कर रहा था। प्रसादजी बड़ीत, पं. माणिकचन्द्रजी सहारनपुर, भाजनके उपरान्त दो बजेस भारतीय दिगम्बर बालप्रोफेसर मोहनजी, पं.निद्धामलजी देहरादून, जैनपरिषदकी कार्यकारिणीका अधिवेशन हुआ। पं० चन्द्रशेम्बर शास्त्री देहलीने अपनी शुभकामनाएँ इसके तुरन्त बाद इस प्रदेश कार्यकर्ताओंकी मीटिंग प्रकट की और पं. मामराज शर्मा 'हर्षित', अखिलेश हुई और सहारनपुरको परिषदका कन्द्र बनाया गया 'ध्रुव' और ओमप्रकाशजीने अपनी २ कविताएँ जिस के संयोजक बा० दिगम्बरप्रसाद मुख्तार पढ़ी। अन्तमें मुख्तार साहबने इस सम्मानका उत्तर और बा० मंगल किरण जी जैन चुने गये । दिया जो अन्यत्र प्रकाशित है। इसके बाद राजेन्द्रकुमारजीने श्रीमती चन्द्रवती ऋषभ दूसरे दिन ६ सितम्बर को उसी पण्डालमें सम्मान सैन जैनसे सामाजिक विषयांपर बातचीत की। समाराहका दूसरा अधिवेशन हुमा।आजके सभापति ४ बजे व्याणर-मएडा में श्री राजेन्द्रकुमारजीको रायबहादुर लाहुलासराय थे । उनके अनुरोधपर अभिनन्दन पत्र दिया गया। उसके उत्तरमें बैंकों का नहटौरके रिटायर्ड डिप्टी कलक्टर श्री नन्दकिशोरजी जनताके साथ क्या सम्बन्ध है, इसपर वे बोले । ४॥ रईस कार्यका संचालन कर रहे थे । श्री पं. बजे श्री ला० विशालचन्द जैन, स्पेशल मैजिष्ट्रेटके देवचन्द शर्मा ने मंगलाचरण किया। मुख्तार साहब यहाँ वे टी पार्टी में गये । यह राजेन्द्रकुमारजी और के कार्यपर श्री प्रभाकर जी का एक भाषण हुमा मुरूवार महोदयके सम्मानमें दी गई थी। इसमें जिले और अन्तमें प्रो. सत्यपालजी और बाल प्रोफेसर क श्री ला ही पुलिससुपरिन्टेन्डेण्ट जैसे अधिकारी मोहनजीने योगिक क्रियाओंका प्रदर्शन जिया। जिसका खान बहादुर श्री शाहनजर हुसैन चेयरमैन डिष्ट्रिक्ट जनता पर बहुत प्रभाव पड़ा। बोडे जैसे प्रमुम्ब पुरुष और विशिष्ट अतिथि पधारे अन्तमें श्री कौशलप्रसादजीने सबको धन्यवाद थे। श्री ला अहदासजीने सायंकालको सब अति- दिया और उत्सव सानन्द समाप्त हुभा। थियोंको एक शानदार प्रीतिभोज दिया।
SR No.538006
Book TitleAnekant 1944 Book 06 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1944
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size28 MB
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