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________________ ** ईम् - वाषिक मूल्य ५० इस किरण का मूल्य ॥) नीतिविरोषसीलोकव्यवहारवर्तक-सम्बन् परमागमस्यबीज भुवनैकगुरुर्जयत्यनेकान्तः॥ . ... दिसम्बर-जनवरी पीरमवामन्दिर (ममन्तभद्राश्रम) मरमावा जिला महारनपुर पौष माघ शुज बीरनिर्वाण स. २४७५, विक्रम म. २... * मगलानर ते सज्जनाः किल भवन्तु सदा प्रसन्नाः ये प्रीणयन्ति जगती जनतामनांसि । शश्वत्परोपकृतिकर्मपरावचोभिः वारांभरर्धनघटा इष कानमामि ॥ जिम्मन गगढषकामादिक जीने मब जग जान लिया। सब जीवोंगो मोक्षमार्गका निस्पृह हो उपदेश दिया। बुद्ध,बर, जिन हरि, हर, मक्षा या उसको स्वाधीन कहो भलिभावम प्रेरित हो यह चित्त उपीमे बीन रहो।। विषयोंकी भाशा महिं जिनके,साम्य भाव धन रखते हैं। निज परके हित साधनमें जो निश-दिन तत्पर रहते हैं। म्वार्थत्यागकी कठिन तपस्या, बिना खेद जो करते है। ऐम ज्ञानी मा जगतके दुखसमूहको हरते है॥ नहीं पता किसी जीवको, रहे सदा मासंग उन्हींका, ध्यान उन्हींका नित्य रहे। उनही जैमी पर्याने मह, वित्त मा अनुरक हे। पर पन बनितापरखुमाऊँ, सतोचायत पिया करें।
SR No.538006
Book TitleAnekant 1944 Book 06 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1944
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size28 MB
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