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________________ किरण ४] जीवन-चरित्र १३५ - जीवन-चरित्र है। परन्तु प्रायः आत्म-चरित्र लिखने समंतभद्र' एक उच्चकोटिकी रचना है। अन्य प्राचार्यों का रिवाज न था। अपने बारेमें सभी चुप हैं । बड़े २ केजीवन-चरित्र भी उसी ढंगसे तय्यार होने चाहिएँ । राजाओं और विद्वानोंका हाल मिलना कठिन हो रहा कितने दुखकी बात है कि भगवान महावीर तकका है। शिक्षाका अभाव होनेसे जीवन-चरित्रोंकी बिक्री भी कोई प्रामाणिक पूरा जीवन-चरित्र नहीं है। जब भी कम होती है। फिर एक महापुरुषके कई जीवन- समाजके सामने कोई आदर्श ही नहीं है, तब उन्नति चरित्र कैसे हों अंग्रेजीमें छियासठ भागों में "Dic- कैसे हो सकती है? वर्तमानके बड़े आदमियों में सेठ tionary of National Biography" 'राष्ट्रीय माणिकचंदजी, सर मेठ हुकमचन्दजी तथा प्रसिद्ध जीवन-चरित्र-कोष' है। भारतवर्षमें अभी इसकी जैन प्रकाशक देवेन्द्रकुमारजीके चरित्र लिखे गये हैं। तरफ किसीका ध्यान भी नहीं। महापुरुषों के जीवन पर खेदका विषय है कि जीवन-चरित्र सम्बन्धी साहिचरित्र सम्बन्धी सामग्री संग्रह होनी चाहिए। त्यकी बिक्री बिलकुल नहीं है। क्या जैन समाज जैन समाजके जीवन-चरित्र सम्बंधी साहित्यके साहित्य सम्बंधी अपनी इस कमीको पूरा करनेकी बारेमें दो बातें लिखकर मैं इस लेखको समाप्त तरफ ध्यान देगा? करना चाहता हूँ। जैन समाज के पुराण और जीवन नोट-इस निबन्धक लिखने में ऐस्क्विथके निबन्ध (Biogचरित्रोंका पुराना साहित्य काफी है। परन्तु नवीन ढंग raphy) वैनमन लिखित निबन्ध (Artof Biogसे लिखा हुआ साहित्य नहींके बरावर है । तीर्थंकरों, raphy ) और इन्साइक्लो पीडिना ब्रिटेनी कासे सहायता आचार्यों, जेन लेखकों, कवियों, सम्राटों, महापुरुषों ली गई है इसके लिये लेखक उन सबका श्राभारी है। और प्रसिद्ध खियोंके जीवन-चरित्र प्रायः नहीं मिलते। पंडित जुगल किशोरजी मुख्तारका लिखा हुआ 'स्वामी प्रयाण जीवन पट यह बिखर रहा है। सन्तु जान सब सीख हो गया, सारा स्तम्भक तत्व खो गया, पल भर भी रहना अब इसमें भगवन् ! मुमको अखर रहा है। सम्मोहन की मधुमय हाला, पी पी कर मैं था मतवाला, नशा माज उतरा है अब तो, जीवन मेरा निखर रहा है। मृत्यु-लहर पर खेल रहा मैं; सब विषदाएँ मेख रहा मैं अन्तईन्द मचा प्राणों में, यह समीर मन मथित रहा है। (५० चैनसुखदास न्यायतीर्थ)
SR No.538006
Book TitleAnekant 1944 Book 06 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1944
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size28 MB
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