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________________ बलात्कारके समय क्या करें ? (लेखक-महात्मा गांधी) एक बहनने अपने पत्रमे मुझमे नीचे लिग्वे मवाब श्राज शहरोमे रहने वाली प्रत्येक स्त्रीके मामने यह पूछे है खनग तो है ही, योर हालिये पुरुषोंको इसके सम्बन्धम १-काई दैत्य जमा मनुष्य गर चलनी किमी बहनपर चिन्तित रहना पड़ता है। इसलिए मेरी मलाइ तो यह है हमला करक उम पर बलात्कार करने मफल हो जाये, तो कि डरकर नही, बाल्क सावधानोके विचारमे स्त्रियोको गावों या उम बहनका सतीच भङ्ग हुया माना जायगा? में जाकर बम जाना चाहिये और वहां गायोकी कई तरहमे २-क्या वह बदन तिरस्कारकी पात्र है, उमका मेवा करनी चाहिए | गावाम खतरेकी कम-से-कम संभावना चाहाकार किया जा मकता है ? है । यह याद रखना होगा कि गांवोमे धनवान बहनाको मादमा और गरीबीमे रहना पड़ेगा। अगर वे वहाँ कीमती ३-से मंकटम फैमी हुई स्त्री क्या करे ? जनता गहने और कपड़े पहनकर अपने धनका प्रदर्शन करेगी तो क्या कर? तिरस्कार नहीं, दयाकी पात्र एक मंकटमे बचकर दूमाम जा पड़गी और हो मकना है कि देहातमे उन्हें एकके बदले दो-दो मंकटोका मामना में मानता हूँ कि दरअमल ता इमं मनाय भङ्ग ही करना होगा। लेकिन जिम पर मफल बलात्कार किया जाय स्त्रियाँ निर्भय बनें। वह ना कमी भी तरह तिरस्कार या वाहाकारको पात्र नहीं, लेकिन अमल चीज नो यह है कि स्त्रियो निर्भय बनना लेकिन असल चीज नो गा है कि वह नो दयाका पात्र है। उमका गिनती घायलाम दादी मांव जाय। मेग यह दृढ विश्वास है कि जो स्त्री निडर है चाहिये, योर इमालये घायलोकी मेवाकी नग्ह उमकी भी यार जो दृढना पूर्वक यह मानती है कि उसकी पवित्रता ही संवा करनी चाहिये। उमके मनीत्वकी मोनम ढाल है, उसका शील सर्वथा मच्या मनाव भइती उम स्त्रीका हाता है, जो उमम मुगक्षत है। मी म्बीके ने जमात्रमे पशुपरुप चौधया आयया मम्मत हो जाती है। लेकिन जा विरोध करत हुए भी घायल चार लाजसे मड़ जायगा । Pा जाती है, उसके मम्बन्धमे मनाव-भङ्गकी अपेक्षा यह इम लेग्वको पढ़ने वाली बहना मेरी सिफारिश है कि अधिक उचित है कि उसपर बलात्कार हुआ। 'मनील-भङ्ग अपने अन्दर हिम्मत पैदा करे । परिणाम इमका यह या व्यभिचार शब्द बदनामी मृचक है। इसलिए वह होगा किव भयस इटकाग पा जायेगी और निर्भयह चलाकारका पर्यायवाची माना जा मकता । जिमका माय मर्कगी। व स्त्रियांम पाई जाने वाली थर थराइट या कम्पन बलात्कार पूर्वक नट किया गया है, उसका किसी भी तरह का न्याग कर दंगी1 यह कोई नियम नही कि हर एक निन्दनीय न माना जाय. ता मा घटनायाका छिपानेका जो मल्जर (मैनिक) पशु बन ही जाना है। बेशरमीकी इम हद रिवाज पड गया है. व मिट जाय। यदि मिट जाय. तो नक जाने वाले मोल्जर कम ही होते हैं। मो में बीम ही मॉप खले दिल मी घटनायांक विरुद्ध उहापोह कर मकंगे। नगले होते हैं और बीममे भी डॅमने वाले तो इने-गिने ही अगर अग्नबागमे इन पटनाग्रांक खिलाफ टीक-ठीक होल हैं। जब नक कोई छेड़े या मनाये नही, मॉप हमला अावाज उठाई जाय तो मेंनिकाकी छेडग्यानी बहुत कुछ रुक नहीं करना । लेकिन इपोकको इम जानम कोई लाभ नहीं मकनी है और नब उनके सरदार भी उन्हें बहुत हद तक होना। वानी सॉपको देग्यने ही थर-थर काँपने लगता है। गोक सकेंगे। अतएक जरूरत तो यह है कि एक स्त्री निर्भय बननेकी
SR No.538005
Book TitleAnekant 1943 Book 05 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1943
Total Pages460
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size28 MB
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