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________________ Resisterrum.....31. ** ***ॐ नैयार हो गया ! नयार हो गया ! शीघ्र ही मेंगाइये !! बटग्वंडागम(धरामद्धांन)कापाँचवा भाग अन्तर-भाव-अल्पबहुत्वागम छपकर तैयार होगया है ! यह भागभी पूर्वपद्धतिके अनुमार शुद्ध मूलपाठ, मूलानुगामी हिन्दी अनुवाद तथा अनेक उपयोगी परिशिष्टोंके साथ तैयार किया गया है। इसमें एक-एक गुणस्थान व मार्गणास्थानमें क्रमशः जीवोंके अन्तर, भाव और अल्पबहुत्वका विवेचन बड़ा खुलासा और गम्भीर किया गया है। खूब शंका-समाधान किये गये है। प्रस्तावनामें कनाड़ी प्रशस्ति, शक्का-समाधान व विषय परिचयके अतिरिक डा०अवधेशनारायणसिंहजी के लेग्वका अविकल हिन्दी अनुवाद 'धवलाका गणितशाब भी दिया गया है जो अपूर्व है। बड़ी महत्वपूर्ण रचना है। शीघ्र मॅगाइये। पुग्नकाममा . कागज आदिकी दुष्पानि और अत्यन्त मेंहगाई होनेपर भी कागज्ञ और भी पुष्ट लगाया गया है। कीमत पर्वत्रन कायम रखी गई है। नोट-१-प्रथम भागकी शाखाकार प्रतियां तो पहले ही ममाप्त हो चुकी हैं. अब पुस्तकाकार भी थोड़ी ही रही है। अतएव अब प्रथम भाग पुस्तकाकार फुटकर नहीं मिल सकता। पूरा मैट पाँचों भागोंका एक माथ लेने बालेको ही मिल मकेगा। शेष भाग भी शीघ्र दुर्लभ हो जावंगे। . .,२, ४ भाग प्रत्येक १०) मृत्य HTA । (१ भाग अप्राप्य )२, ३ व ४ भाग प्रत्येक १) नोट:-दम मस्थाक हाथमे डन्य बहुत थोड़ा और कार्य बहुत ही विशाल है। अतएव समस्त श्रीमानों, विद्वानां और मथाको उचित मूल्यपर प्रतियाँ ग्वरीदकर कार्यप्रगतिको मुलभ बनाना चाहिये। नोट -नन्ही ग्रंथांके साथ कारंजा मीरीज में प्रकाशित अपभ्रंश भापाके अद्वितीय ग्रंथ भी मॅगाइथे । जसहर चरिउ६), णायकुमारचरि६), सावयधम्म दोहा २), पाहुड दोहा गा)। नोट-मूल्य पेशगी भेजनेवालोंको डाक व रेलवे व्यय न लगेगा। मन्त्री , किंग पर कालेज, अमरावती (वरार)
SR No.538005
Book TitleAnekant 1943 Book 05 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1943
Total Pages460
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size28 MB
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