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________________ अनेकान्तके सहायक अनेकान्तको सहायता गत रिरणमें प्रकाशित सहायताके बाद अनेकान्तको तृतीय मार्गसे८) रु. की निम्न सहायता प्राप्त हुई है, अब तक जिन सजनोंने अनेकान्तकी ठोस सेवाओंके जिसके लिये दातार महाशय धन्यवादकं पात्र हैं:प्रति अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, उसे घाटेकी चिन्तासे ५)ला. फतह चंद दासूरामजी जैन मुलतानसिटी (ला. मुक्त रहकर निराकुलतापूर्वक अपने कार्यमें प्रगति करने जिनेश्वरदासजीके, मत्युस कुछ समय पहले निकाले हुए, और अधिकाधिक रूपमे समाजसेवाग्रामें अग्रसर होनेके दानमे), मार्फत पं. जितकुमारजी जैन शास्त्री, लिये सहायनाका वचन देकर उसकी महायकश्रेणीम अपना मुलतान मिली। नाम लिखाया है उनके शुभ नाम सहायताकी रकम-महिन ३) ला नानमल म्पचन्दजी जैन, ब्राममचेट, पानीपत इस प्रकार हैं। (ला. नानमलके स्वर्गवास पर निकाले हुए दानौसे) २२५) वा. छोटेलालजी जैन रईस कलकत्ता। मार्फन ला० रोशनलालजी जैन पानीपत । __ व्यवस्थापक 'अनेकान्त' १०) बा० अजितप्रमावजी जैन एडवोकेट, लखनऊ। थोरसेवामन्दिरको फुटकर महायता १०१) बा. बहादुरसिंहजी सिंघी कलकत्ता । गतकिरणा में प्रकाशित महायताके याद वीरसेवामन्दिर १००) साहु शान्तिप्रसादजी जैन, डालमियानगर । परमावाको) २० की निम्न सहायता प्राप्त हुई है, जिस १००) बा० शातिनाथ सुपुत्र बा. नन्दलालजी, कलकत्ता । १००) मेट जोग्बीरामजी बैजनाथजी सरावगी, कलकना। के लिये दातार महाशय धन्यवादके पात्र है: ४) श्रीदिगम्बर जैन समाज बाराबंकी, मार्फत मंत्री कन्हैया१००)माह श्रेयोमायादजी जैन, लाहौर । १००) बा• लाल चन्दजी जैन, एडवोकेट, रोहनक । लानजी जैन, बाराबंकी। ४)ला. गोपीचन्द जी जैन, अम्बाला छावनी (अपने भाई १८.) चा जयभगवान जीवकील श्रादि जैनपंचान, पानीपत मुन्शीगम के पत्र दि. प्रेमचन्दको गांद लेनेकी खुशीम ५१) ग.ब. या उलफतराय जी जैन रि० हजीनियर, मेरठ । ५०) ला० दलीपसिह काग़ज़ी और उनकी मार्फन, देहली। निवाले हुए दानममे), मार्फत ला. समन्दरदासजी २५) पं० न.धूगमजी प्रेमी, हिन्दी ग्रन्थ ग्नाकर, बम्बई। जैन पानीपतके। अधिमाता 'वीरसेवामदिर' २५) ला० रूटामन जी जैन शामियाने वाले सहारनपुर । श्रीकापड़ियाजी पर अनभ्र वज्रपात! २५) बा. रघुबरदयालजी जैन एम०ए०करोलबाग देहली। जैनविजय प्रेप मूरनके मालिक तथा जैनमित्र और २५) सेठ गुलाबचन्दजी जैन टोग्या, इन्दौर । श्रीर दिगम्बर कनके सम्पादक मे० मूलचन्द विसनदासजी २५)ला. बाबुराम अकल प्रसादजी जैन, निम्सा जिला कापडियाके इकलौते पुत्र बाबूभाई कापरियाका मात्र १७ मुजफ्फरनगर। वर्गकी अायुमे १५ दिनकी टाइफाइडकी बीमारी ता. २५) मवाई मिधई धर्मदाम भगवानदासजी जैन, सतना। १६.१०४२ को सवेर स्वर्गवास हो गया है। श्री. काप. २५) ला. दीपचन्दजी जेन रईस, देहगदान । हियाजी पर ६० वर्षकी वृद्धावस्थामे यह घोर शनभ्र वनपात २५) ला० प्रद्युम्नकमारजी जैन रईम. स रनपुर। हुश्रा है। थापकी समस्त श्राशाओंग केन्द्र यही एक मात्र २५) मुंशी सुमतप्रमादजी जैन रि० अमीन महारनपुर। पुत्र था। जिनेन्द्र भगवान से प्रार्थना है कि उन्हें यह दुःख सहन ग्राशा है अनकान्तकं प्रेमी दूसरे सजन भी आपका करनेकी शक्ति प्राप्त हो और स्वर्गीय लामाको शांति मिले। अनुसरण कांगे और शीघ्र ही सहायक स्कीमको सफल श्री कापडियाजीने १५०००) का दान घोपित करके बनाने में अपना परा सहयोग प्रदान करके यशके भागी अपने स्वर्गीय पुत्रकी स्मृनिमे सूरतमे दि. जैन बोर्डिंग बनेंगे। खोलनेका विचार प्रकट किया है और १०००) दि. जैन संस्थाश्री नया गरीबों को प्रदान के लिये निकाले हैं। श्री. व्यवस्थापक 'अनेकान्त' कापरियाजीके धपुर श्री गलायचट लालनदजी ने भी वीरवामन्दिर, परमाना (महारनपुर) १०८०) का दान दिया है। परमप्रीदाम जैन
SR No.538005
Book TitleAnekant 1943 Book 05 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1943
Total Pages460
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size28 MB
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