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________________ अनेकान्तके सहायक अनेकान्त को सहायता गत किरणमें प्रकाशित सहायताके बाद अनेकान्तको द्वितीय और तृतीय मार्गसे ६३॥) की और सहायता प्राप्त अब तक जिन सजनाने अनेकान्तकी ठोस सेवाश्रोके हुई, जो निम्न प्रकार है और जिसके लिये दातार महाशय धन्यवादके पात्र हैं:प्रप्ति अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुये, उसे घाटेकी चिन्तासे २५) गुप्त सहायता, सदर बाजार देहलीके उन्हीं परोपमुक्त रहकर निराकुलतापूर्वक अपने कार्य में प्रगति करने कारी महानुभावकी श्रोरसे जो इससे पहले इसी और अधिकाधिक रूपसे समाजसेवाश्री अग्रसर होने के मदमें ४६॥) रुपयेकी सहायता भेज चुके हैं और लिये सहायताका वचन देकर उसकी सहायकश्रेणीम अपना जिन्होंने अपना नाम अभी तक पत्रमें प्रकट करनेसे नाम खिखाया है उनके शुभ नाम सहायताकी रकम-महित मना कर रखा है। (१० व्यक्तियोंको और 'अनेकान्त' इम प्रकार हैं :२२५) बा० छोटेलालजी जैन रईम, कलकत्ता । फ्री भेजनेके लिये)। यह महायता प्रापने स्वयं वीर शासन-जयन्ती के अवसर पर वीर सेवामन्दिरमे पधार १०१) वा अजित प्रसादजी जैन एडवोकेट, लग्बनक। कर प्रदान की है। १०१) बा. बादुरसिंहजी सिंधी, कलकत्ता । ११) रा०प० ला० हुलासरायजी जैन रईस सहारनपुर १००) माह शान्तिप्रमादजी जैन, डालमियानगर । (स्वयं वीर सेवामन्दिरमें पधार कर)। १००) बा० शातिनाथ सुपुत्र बा० नन्दलालजी, कलकना। १०) बा. महावीर प्रमाद जी जैन यी०ए० पल पल बी०, १००) सेठ जोखीगमजी बैजनाथजी सरावगी, कलकत्ता। वीर स्वदेशीभंडार, सरधना जि. मेरठ। (चार १००) माह श्रेतासप्रसाद जो जैन, लाहौर । व्यकियोंकोएक वर्ष तक अनेकान्त फ्रीभिजवाने के लिये) १००) बा० लालचंद जी जैन, एडवोकेट गेहतक , १०) रखबचन्द राजमल जावरा वाले बोटा मराफा, १००) बा० जयभगवानजी वकील श्रादि जैनपंचानन पानीपत इन्दौर। (५ व्यक्तियोंको अनेकान्त फ्री भिजवानेके १००) ला० ननमुग्वगय नी जैन, न्य देहनी । लिये) मार्फत भाई दौलतरामजी 'मित्र' इन्दौर। ५१) राज्यव्या० उलफतरायजी जेन रिसदजीनियर, मरठ। ५) रायसा ला० श्रादीश्वरलालजी देहली, (अपने ५०) ला० दलीपसिंह कागजी और उनकी मापन देहली। पिता बा. प्यारेलालजी वकील देहली म्वर्गवामके २५) पं० नाथूरामजी प्रेमी, हिन्दी ग्रंथ रन्नाकर, बम्बई । समय निकाले गये दान मे)। २५)ला. दामलजी जैन शामिलानेवाले महारनपुर। पं. दरबारीलालजी जैन न्यायाचार्य, सरमावा (एक २५) बा. रघुबरदयालजी जैन एम ए०करोलबाग़ देहली। ___ व्यक्तिको अनेकान्त फ्री भिजवाने के लिये)। २५) मेठ गुलाबचंदजी जैन टोग्या, इन्दौर। ६३॥) व्यवस्थापक 'अनेकान्त' २५) लाल बाबूगम अकलकपमादजी जैन, निम्मा तिला वीर मेवामन्दिरको फुटकर महायता मुजफ्फरनगर। गत किरणम प्रकाशित सहायताके बाद वीर मेवामंदिर २५) मचाई मिघई धर्मदास भगवानदामजी जैन, माधना । मरसावाको ५) रुपयेकी सहायता ला० इन्द्रमैन बानमलजी २५) ला० दीपचंदजी जैन रईस, देहरादून। जैन, दिम्बरमर्चेन्ट, अबदुल्लापुरसे (लायब्रेरी में कोई जैन ग्रंथ २५) ला० प्रयम्नकुमारजी जैन रईस, सहारनपुर । मंगानेके लिये) प्राप्त हुई है, जिसके लिये दातार महाशय शा सुमनप्रसादजा जन २० अमान, सहारनपुर। धन्यवाटके पात्र हैं। अधिधाता 'वीरमेवामंदिर' श्राशा है अनेकान्त के प्रेमी दूसरे सजन भी थापका विलम्थका कररण अनुकरण करेंगे और शीघ्र ही सहायक स्कीमको माफल प्रेम कर्मचारियों तथा वीर सेवामन्दिरके भी सभी बनाने में अपना पृग महयोग प्रदान करके यशके भागी विद्वानोंके सम्पादकजी महित. बीमार पडजानेके कारण बनेगे। अनेकान्तकी इस किरणके प्रकाशनमें पाशानीत बिलम्ब हो व्यवस्थापक 'अनेकान्त' गया है। पाठक इसके लिये हमें क्षमा करेंगे। वीरमेवामन्दिर, सरसावा (महारनपुर) -प्रकाशक 'अनेकान्त'
SR No.538005
Book TitleAnekant 1943 Book 05 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1943
Total Pages460
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size28 MB
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