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वीरसेवामन्दिरमें वीर-शासन-जयन्ती-उत्सव
इस वर्ष वीरसेवामन्दिर मरसावामें श्रावण कृष्णा सम्पादिका जैन 'महिलाश और बहनगुणमाला प्रतिपदा और द्वितिया ता००८-२६ जुलाई सन् १६४२ नानीता आदिक नाम उल्लेखनीय हैं।। दिन मंगलवार-बुधवारको पिछले वर्षोंकी अपेक्षा और भी प्रथम दिन सुबह ५ बजे बड़े ही आनन्द तथा अधिक ममारोहके साथ वीर-शासनजयन्तीका उत्मव उत्सव के साथ प्रभातफेरी हई, जिसमें स्थानीय और मनाया गया। स्थानीय प्रमुख मजनों के अलावा बाहर- बाहरके बहत प्रतिधित मजनोंने भाग लिया। प्रभातसे-महारनपुर, देहली, मथुग, अम्बाला, मुजफ्फर- फेरीका भण्डा मुग्तार माहब लिए हुए चल रहे थे। नगर, पंचकूला, सलावा, खतौली, तिरुमा, मल्हीपुर, इसके बाद भण्टाभिवादन किया गया । १२ बजे अबदुल्लापुर, जगाधरी, बनारस, नानौता आदि के बाद जलस निकाला गया। जुलूस के बीचस्थानों से-अनक गण्यमान्य श्रीमान और विद्वद्गण बीच में स्थानीय जैन धर्मप्रेमी वैटा पं० रामनाथजी पधारे थे, जिनमें ला० प्रम्नकुमार जैन रईस शर्मा जलम का प्रयोजन और वीर-शामनका महत्व सहारनपुर, ला० अहदास सहारनपुर, ला० उदयगम जनताको बहुत ही अच्छे ढंगसे समझाते जाते थे तथा जिनेश्वरदास, ला० बेनीप्रसाद तथा ला० रुढ़ामलजी श्री माणिक गवैये के भावपूर्ण मनोहर गायन होते थे। सहारनपुर, ५० माणिकचंद्रजी न्यायाचार्य महारनपुर, । बजे जुलूमके वीरसेवामन्दिरमें वापिम श्रा पं. राजेन्द्रकुकारजी जैन न्यायतीथे, प्रधानमन्त्री जाने के बाद मनोनीन सभापति श्री०लाप्रशम्नकुमारजी दि० जैन संघ मथुरा, बा० जैनेद्रकुमार देहली, श्रीमती जैन रईस, सहारनपुर के सभापतित्वमें सभाका कार्य लेखवतीजी अम्बाला, पं० चन्द्रकुमारजी शास्त्री एम० प्रारंभ हआ। यद्यपि लालाजी साहब कुछ अस्वस्थ थे To अम्बाला, पं. कृष्णचन्द्रजी अधिष्ठाता जैनेन्द्र किन अपनी अम्वशताका गरुकुल पंचकूला, बा० कौशलप्रसादजी जैन मैनेजिंग मन्दिरके प्रेम और आग्रहको पाकर आपने जल्मे में डायरेक्टर भारत आयुर्वेदिक कमिकल्म सहारनपुर, पधारनेकी कृपा की थी। सभाका कार्य प्रारम्भ होनके बा० रूपचन्दजी एम० ए० हेडमास्टर जैन हाई स्कूल सर्वप्रथम स्थानीय कन्यापाठशालाकी छात्राओं और सहारनपुर, श्री० कर्मानन्दजी महारनपुर, पं० शील- जैनेन्द्र गुरुकुल पंचकूलाके ७० रवीन्द्रकुमारने हारचन्द्रजी न्यायतीर्थ सहसम्पादक 'विश्वमित्र' देहली, मोनियम पर सुमधुर मंगलगान किये । तदन्तर मेरे पं० शंकरलालजी शर्मा, पं० श्रेयांसकुमार जैन शास्त्री मंगलाचरण किये जानेके बाद सभापतिका चुनाव मंत्री परिपद आफिस देहली, मा० चेतनदासजी किया गया। सभापतिजीने वीरसेवामन्दिरकी महत्ता बी० ए० मल्हीपुर, डा० कैलाशचन्द्रजी सहारनपुर, और उसके कार्यकी उपयोगिता बतलाते हए मार्मिक बा० विजयमूर्ति एम० ए० दर्शनाचार्य बनारस, ला० भाषण दिया, उसके बाद पं० शीलचन्द्र जैन न्यायविमलप्रसादजी सदर बाजार देहली, ला० बाबूरामजी तीर्थ, पं० रामनाथ वैद्य, बा० जयभगवान वकील नैन रईस तिस्सा, हकीम चंद्रसैन जैन तिस्सा, ला० और पं० माणिकचन्द्र न्यायाचर्य के प्रभावक एवं त्रिलोकचन्द जैन, मंत्री जैन मिडिल स्कूल खतौली, महत्वपूर्ण व्याख्यान हुए। व्याख्यानके मध्य में पं० ला० जौहरीमल शर्राफ देहली, ५० बाबूलालजी जैन ओमप्रकाश, पं० काशीराम शर्मा 'प्रफुल्लित', कुमारी तिस्मा, पं० काशीरामजी शर्मा 'प्रफुल्लित' सहारनपुर, लज्जावतीके क्रमशः 'वीर-संदेश' 'वीरकी कहानी' और पं० धर्मदासजी खत ली, ला० हुकमचन्द्रजी सलावा, 'वीर-शासन' पर बहुत ही सुन्दर भावुक कविताएँ ला. तनसुखराय तिस्सा, श्रीमती जयवन्तीदेवी सह- हुई। शामके भोजनका समय हो जानेके कारण